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________________ परिशिष्ट १ ४६७ वाहुडण-गमन विच्छोलिअ-कंपित पाहुडिअ-गत, चलित विजयाइ-खाद्य-विशेष वाहोलिया-छोटा जल-प्रवाह । विज्ज-देश-विशेष विअंटत-१ अवरोपित । २ मुक्त विज्जे-१ रास्ते से । २ लिए विआलिउ-व्यालू, सायंकाल का विज्झ-धक्का भोजन विज्झड़--समूह विचिआ-पामा-रोग विट्टलय-अपवित्र-अपवित्रार्थे देशी विउडण-१ विनाश । २ विनाशक विट्टालि–अपवित्र करने वाला विउडिअ-विनाशित विट्टालिअ-उच्छिष्ट किया हुआ विउल-१ क्षीर । २ आविग्न विद्रित -अर्जित विओलय-उद्विग्न विडत्त-अजित विटलिआ-गठरी विडाविड-निर्मित विढिया--अंगूठी | विडिरिल्ल-भयंकर विदुरिल्ल-१ उज्ज्वल । २ कलकंठ।। विडच्छअ-निषिद्ध ३ म्लान । ४ विस्तृत विडविल्ल-भीषण विभइय-विस्मित-विस्मितार्थे देशी विड्डम-भय विभय-विस्मय विडय-चमत्कार विड्डर--१ विस्तार । २ असंभावित विक्खणय-कार्य आपदा विगिचणया-१ परित्याग । विड्डुरिल्ल-१ आटोप, आडंबर । २ विनाश २ आटोपित विगत्त–पीडित विड्डरी-आडंबर विग्गुत्त-व्याकुल किया हुआ विड्डिरिआ-रात्री विग्गोवय-व्याकुलता विड्डिरिल्ल-आडंबर विच्चल-नंगा, वस्त्र-रहित विड्डुरी-आडंबर विच्छडु-१ वैभव । २ विस्तार विढवण-उपार्जन विच्छड्डी-वैभव विणड-१ व्याकुल । २ विडम्बना विच्छुअ-पिशाच विडिय-वंचित-वंचित इत्यर्थे विच्छुरिअ-अपूर्व देशी विच्छढ-विरहित वित्थक्क-१ विरोधी के रूप में विच्छोइय-विरहित प्रस्तुत । २ आक्रमण । ३ निरुद्ध विच्छोम-विदर्भ नगर वित्थिर-विस्तार, फैलाव विच्छोय-विरह विद्धवयण-विदग्ध वचन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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