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________________ ४८२ पच्चार- - उपालम्भ पच्चारिअ - उपालंभ - प्राप्त पच्चालिय- प्लावित पच्चावेणिअ -- सन्मुख आगत पच्चुअ - दीर्घ पच्चुच्छाहण - मदिरा, सुरा पच्चुडरिअ - प्रत्युद्गत पच्चोल्लिड - प्रत्युत पच्छल - पश्चात् पद्मामुर – वृद्ध पट्ट – वस्त्र पड - ग्राम की सीमा का स्थान पडअसाइमा -- भील के सिर पर पहनी जाने वाली पत्रपुटी पडंसुआ - प्रतिध्वनि पडसुगा --- मोर्वी, धनुष्य की डोरी पडड्डाली - क्रीडा पडमा - तंबू पडहच्छ-- १ समूह । २ प्रतिपूर्ण पडहत्थ - प्रतिपूर्ण पडार - चोरों का समूह पडिअ -- १ मंगलपाठक । २ आचार्य पडिउंचण -- प्रतिकार पडिक्किआ - प्रतिकृति पडिज्झय - विसर्जक पडिपल्लिल -- पूजनीय पडिरिग्गअ - भग्न पडिसिद्धि - प्रतिस्पर्धा - पडिसोत्त- प्रतिकूल पsिहस्थिय - परिपूर्ण पडुज्जइणी - युवती, तरुणी पडोल्लिय - अत्यन्त आक्रुष्ट Jain Education International देशी शब्दकोश पड्डु बायां हाथ पडुल्ल - निर्धन पढुक्क - प्रवृत्त - प्रवृत्त इत्यर्थे देशी पत्तण्णी - रथ्या पत्तल - १ पतला, कृश, छोटायवीयस इत्यर्थे देशी । २ सुन्दर यत्तलि --- पत्तों का बना भाजन पत्तलिया- दुबली - कुशा इत्यर्थे देशी पत्तुट्ठ - प्रवीण पत्थण-मोटा वस्त्र पत्थर - मौर्वी, प्रत्यंचा पत्थरी - १ बिछौना । २ समूह पत्थी – पात्र, भाजन पत्थेवाअ --- पाथेय पथिप्पिर - गलता हुआ पबोल्लिअ - प्रकथित, कहा हुआ पमय — मर्कट पम्हलिअ -- धवलित, सफेद किया हुआ पम्हुट्ट - १ प्रमुषित। २ प्रसृष्ट परइ-प्रभात परट्ट - १ भीत । २ पतित । ३ पीडित परभत्त - १ भीरु । २ निष्पीड परय – १ प्रभात । २ आने वाल दिन परवाली - पर स्त्री परिअंभ - कर्मकृत् परिअवि - परिच्छिन्न परिअद्रिअ - प्रकटित, व्यक्त परिअड्डअ - प्रकटित For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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