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________________ देशी शब्दकोश ३७७ वार-१ चषक, पान-पात्र (सूचू २ पृ ३५८; दे ७।५४) । २ प्रहार . . (निरटी पृ २२) । वारंग-वृक्ष-विशेष (अंवि पृ ६३) । वारग-मंगल घट-वारकः मरुदेशप्रसिद्धनामा मांगल्यघटः' (जंबू १०१)। . वारडिय-रक्त वस्त्र, लाल कपड़ा-'जत्थ य वारडियाणं तत्तडियाणं' (ग८६)। वारमट्टिय-फल-विशेष-'सेलुफल-कोलफल-वारमट्ठिएसु य तधेव' (अंवि पृ २३८) । वारवत्त-द्वीन्द्रिय जंतु-विशेष (अंवि पृ २३७) । वारसिआ-मल्लिका, पुष्प-विशेष (दे ७।६०) । वारिअ-नापित (दे ७।४७) । वारिक-नापित-नापिता नखशोधका व रिका इत्यर्थः' (व्यभा १० टी प १५) । वारिखल-परिव्राजक-विशेष-वारिखलाणं बारस मट्टीया छच्च वाणपत्थाणं, (बृभा १७३८)। वारिज्ज-विवाह (अनुद्वाचू पृ ४८; दे ७ ५५) । वारिज्जिय-विवाह-संबंधी-'पत्तो वारिज्जियवासरो' (उसुटी प २७६)। वारिणील-गोत्र-विशेष (अंवि पृ १५०) । वारुअ-१ शीघ्र (दे ७।४८) । २ शीघ्रतायुक्त-'ण वारुआ अम्हे' (वृ)। वारुआ-१ शीघ्र । २ शीघ्रता से-'आरूढो य एक्कं वारुआसज्ज करिणि' (कु पृ ३३)। वारेज्ज-विवाह (अनुद्वा ३१४) । वारेज्जय-विवाह (उसुटी प २७६) । वाल-१ मुंह से बजाया जाने वाला वाद्य (आवचू १ पृ ३०६) । २ शकुनि गृह-'वालं सउणिघरए' (आचू पृ ३४०) । वालंक-गोत्र-विशेष (वि पृ १५०)। वालंजक-कपड़े का व्यापारी (औपटी पृ ६४) । वालंजुय-वणिक्-'वाणिय त्ति वालंजुओ' (निचू ३ पृ १६३)। वालंफोस-कनक, सोना (दे ७६०) । वालंभ-मुकुट का प्रालंब-'वालंभा मउडादिसु ओचला' (निचू २ पृ ३६८)। वालकल्लि - भोज्य-विशेष (अंवि पृ७१)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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