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________________ देशी शब्दकोश गोंदीण - मोर का पित्त (दे २६७ ) | गोकिलंज - पात्र विशेष (भटी प ३१३ ) । गोकिलिंज - गाय को चारा आदि खिलाने के लिए बांस का बना हुआ भाजन - विशेष (भ ७।१५९) । गोखलक - गवाक्ष (व्यभा ३ टी प ६३) । गोच्चअ - कोड़ा (दे २ ६७ ) । गोच्चिय-- राज्य का अधिकारी, कोतवाल ( पिटीप ६९ ) । गोच्छणव - १ कृषि का उपकरण विशेष । २ खाद ( इ २६।११) । गोच्छय - मुनि का एक उपकरण जो पात्र तथा वस्त्र का प्रमार्जन करने के : काम आता है - 'होइ पमज्जणहेउं तु गोच्छओ भाणवस्थाणं' ( पंव ८०० ) । गोच्छा - मंजरी (दे २१६५) । गोज्ज - १ गायक ( जीभा ६१४) । २ शारीरिक दोष वाला बैल । गोज्झ नाटक, नृत्य- विशेष - 'गोज्झपेक्खियानुख्यविशेषप्रेक्षकाः' ( आवहाटी १ पृ ६२) । गोज्झ विखणी - स्वामिनी (बृ टी पृ १५०६ ) । गोटू - आभीरपल्ली ( कु पृ ७७) । गोग मित्र - गोहि लड्डुगा सामण्णं कता' (निचू ३ पृ ४३७) । गोट्ठिय – मित्र ( निचू ३ पृ २८४) । गोट्टी - मित्र ( निचू ३ पृ २८४) । गोडी - मिट्टी की गुटिका- 'गोडीए घडो भिण्णो' (दअचू पृ ४४ ) | गोड्ड - १ गुड़ से बनी मिठाई (भ १८ १०७) । २ घुटना ( आवचू १ ) गोड्डिका - गेंद खेलने की लकड़ी जो अन्त में मुड़ी हुई होती है (प्रसा ४३५) । २।१०४) । गोण - १ गाय ( प्रज्ञा ११६४) २ बैल ( इ २६।१२; ३ साक्षी (दे २।१०४) । गोणक – पात्र - विशेष ( उपाटी पृ १०१ ) । गोणपोतल - बछड़ा ( आवहाटी १ पृ १३२) । गोणिक्क - गायों का समूह (दे २।६७ ) । गोणिय – गौओं का व्यापारी ( व्यभा & टीप ५) । गोणी - १ गाय (पिनि २२४) । २ पात्र - विशेष ( उपाटी पृ १०१ ) Jain Education International १५.३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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