SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 221
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५२ देशी शब्दकोश गुलुइय-गुल्मित, लताओं से युक्त (भ ११५०) । गलगंछिअ--१ बाड से व्यवहित (दे २।६३)। २ उन्नमित (व)। गुलुगुलिय-हाथी की चिंघाड़ (उसुटी प ६४) । गुलुच्छ--१ घुमाया हुआ (दे २१६२) । २ गुच्छा (पा ३४७)। गुवित-क्षुब्ध, उद्वेलित (स्था ३।४६५) । गुविल–१ गहन, सघन (बृभा ६४८६) । २ जंगल-'जर-मरण-चउग्गई गुविलं' (महा ४४) । ३ चीनी से निष्पन्न वस्तु । गुहा-१ समवाय, साधुओं का समूह । २ उपाश्रय-'गुहास्तु समवायाः प्ररूपणगुहा वा गृह्यन्त इति' (नंदीटी पृ९)। गुहिर-गम्भीर (पा ३२३) । गेंठ अ-स्तन के ऊपर के वस्त्र की गांठ (दे २।६३)। गेंठुल्ल -कञ्चुक, चोली (दे २।६४) । गेंड--स्तन के ऊपर की वस्त्र-ग्रन्थि (दे २१६३)। गेंडुई-क्रीडा (दे २।९४) । गेज्ज--मथित (दे २।८८)। गेज्जल-कंठ का आभूषण (दे २।६४) । गेड्ड-१ पंक, कर्दम । २ यव (दे २११०४) । गेण्हिअ-मुक्ता-माला जो छाती पर लटकती है (दे २१६४)। गेल्लि -हौदा (भटी प १८७)। गेहि-आसक्ति, गृद्धि (आ ६।३७) । गोअंट-१ गाय के चरण (दे २१६८)। २ जमीन पर उगने वाले सिंघाड़े गोअंटो स्थलशृंगाट इत्यन्ये' (वृ)। गोअग्गा-गली (दे २।९६) । गोअला-दूध बेचने वाली (दे २१९८) । गोआ-छोटा घड़ा, गगरी (दे २।८६)। गोआलिआ--वर्षा ऋतु में होने वाला कीट-विशेष (दे २।६८) । गोंजी-मंजरी (दे २१६५) । गोंठी-मंजरी (दे २।९५)। गोंड-कानन, वन (दे २।९४)। गोंडी-मंजरी, मांजर (दे २।६५) । गोंदी-मंजरी (कु पृ ३२) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy