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________________ ३४० परिशिष्ट २ ५. अव्यय - एक भी आत्म प्रदेश का जिसमें व्यय नहीं होता । ६. अवस्थित - अनन्त पर्यायों की अवस्थिति । ' घुवक ( ध्रुवक) 'ध्रुवक' का अर्थ है - ध्रुव, निष्प्रकंप, शाश्वत । इसमें शिव, गुत्त ( गोत्र ) भव, अभव ये पर्याय भी हैं। इनमें शिव मोक्ष का, गोत्र संयम का, भव आत्मा का और अभव सिद्धालय का वाचक है । ये सभी शाश्वत हैं, अत: इनका समावेश यहां कर लिया गया है । धूत (घूत) 'धुत' और 'धूत' - ये दोनों रूप प्रचलित हैं । 'धुत' साधना की विशेष पद्धति रही है । आचारांग के छठे अध्ययन का नाम 'घुत' है । बौद्ध परंम्परा में अनेक धुतांगों की चर्चा है । 'घूत' का अर्थ है - वह प्रक्रिया जिससे कर्मों का धुनन किया जाता है । सूत्रकृतांग के चूर्णिकार ने 'धूत (धुत )' के अनेक अर्थ किए हैं—वैराग्य, चारित्र, उपशम, संयम, ज्ञान आदि । ये सारे अर्थ साधना से संबंधित हैं । यूतं (घूर्त) घूर्त शब्द के पर्याय में ६ शब्दों का उल्लेख है । सभी शब्द धूर्त / शठ के विभिन्न प्रकारों के वाचक हैं— १. धूर्त - जो हिंसा करके ठगता है । २. नैकृतिक - माया करके ठगने वाला । ३. स्तब्ध - आश्चर्य में डालकर धोखा देने वाला । ४. लुब्ध - लोभ दिखाकर ठगने वाला | ५. कार्पटिक - साधु के वेश में ठग । ६. शठ - वेश बदलकर लोगों को धोखा देने वाला । १. भटी प ११६ 1 २. सूचू १ पृ १६२ : धुअं वैराग्यं चारित्रं उपशमो वा संजमो णाणादि वा । ३. अचि ८८ धूर्वति हिनस्ति धूर्तः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016050
Book TitleEkarthak kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages444
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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