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________________ = परिशिष्ट २ व१र मम ( गण ) गण आदि शब्द भिन्न- २ वर्गों के समूह के द्योतक हैं । कुछ शब्दों के उदाहरण इस प्रकार है- . गण - मल्ल आदि गण-समूह | काय - पृथ्वीकाय आदि । स्कन्ध - परमाणुओं का समूह । संघात - तीर्थ यात्रा के लिए प्रस्थित व्यक्तियों का समूह । आकुल- राजकुल के आंगन में सम्मिलित जन-समूह | इस प्रकार ये सभी शब्द समूह के स्पष्ट वाचक हैं ।" गहण ( गहन ) गहन, वन, अरण्य और अटवी - इन चारों शब्दों को कोशकारों एकार्थक माना है । लेकिन क्षेत्र, अवस्था व अवस्थिति से इनका अर्थ-भेद ज्ञातव्य है - गहन - वह वन जो अत्यन्त सघन हो तथा जिसमें प्रवेश पाना अत्यन्त दुष्कर हो । वन - नगर से दूर स्थित तथा जहां एक जाति के वृक्ष हों । अरण्य - वैसा जंगल जहां तापस आदि रहते हैं तथा उपासक अपने अंतिम वय में वहां जाकर शेष जीवन व्यतीत करता है ।' अटवी - वह जंगल जहां शिकारी शिकार की खोज में घूमते हैं ।' गुण (गुण) गुण और पर्याय दोनों द्रव्य में रहते हैं । जो धर्म द्रव्य का सहभाव होता है उसे गुण और जो धर्म क्रमभावी - बदलता रहता है उसे पर्याय कहते हैं । एक दृष्टि से गुण भी पर्याय ही है । गुरुक (गुरुक) प्रायश्चित्त के दो प्रकार हैं— उद्घातिक और अनुद्घातिक । १. अनुद्वामटी प ३८-३६ : पर्यायवाचका ध्वनयः । २. आप्टे, पृ २१४ : अयंते गम्यते शेषे वयसि इति अरण्यम् । ३. आप्टे पृ ३६ : अन्ति... मृगयाविहाराद्यर्थे वा यत्र । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016050
Book TitleEkarthak kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages444
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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