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________________ व्याख्याचूलिका अंगबाह्य _____ कालिकश्रुत की परिमाण-संख्या के अनेक प्रकार प्रज्ञप्त उत्तराध्ययन हैं, जैसे-पर्यवसंख्या, अक्षरसंख्या, संघातसंख्या, पद- सर्वाण्यपि चाध्ययनानि प्रधानान्येव तथाऽप्यमून्येव संख्या, पादसंख्या, गाथासंख्या, श्लोकसंख्या, वेष्टक- रूढयोत्तराध्ययनशब्दवाच्यत्वेन प्रसिद्धानि । संख्या, नियुक्तिसंख्या, अनुयोगद्वारसंख्या, उद्देशकसंख्या, (नन्दीमव प २०६) अध्ययनसंख्या, श्रुतस्कंधसंख्या और अंगसंख्या । सारे अध्ययन उत्तर/प्रधान ही हैं। फिर भी रूढ़ि से प्रकार उत्तराध्ययन सूत्र के लिए ही उत्तर शब्द का प्रयोग हआ .. कालियं अणेगविहं पण्णत्तं, तं जहा--- १. उत्तरज्झयणाई १६. अरुणोववाए कमउत्तरेण पगयं आयारस्सेव उवरिमाइं तु । २. दसाओ १७. वरुणोववाए तम्हा उ उत्तरा खलु अज्झयणा हुंति णायव्वा ।। ३. कप्पो १८. गरुलोववाए शय्यम्भवं यावदेष क्रमः, तदाऽऽरतस्तु दशवकालिको४, ववहारो १९. धरणोववाए त्तरकालं पठ्यन्ते। (उनि ३, शावृ प ५) ५. निसीहं २०. वेसमणोववाए प्राचीनकाल में आचारांग के बाद उत्तराध्ययन पढ़ा ६. महानिसीहं २१. वेलंधरोववाए जाता था। आचारांग के उत्तर में होने के कारण यह ७. इसिभासियाई २२. देविदोववाए उत्तराध्ययन है। आचार्य शय्यम्भव के बाद इस क्रम में ८. जंबुद्दीवपण्णत्ती २३. उट्ठाणसुयं परिवर्तन हुआ-उत्तराध्ययन के स्थान पर दशवैकालिक ९. दीवसागरपण्णत्ती २४. समुट्ठाणसुयं पढ़ा जाने लगा। १०. चंदपण्णत्ती २५. नागपरियावणियाओ अंगप्पभवा जिणभासिया य पत्तेयबद्धसंवाया । ११. खडियाविमाणपविभत्ती २६. निरयावलियाओ बंधे मुक्खे य कया छत्तीसं उत्तरज्झयणा ।। १२. महल्लियाविमाणपविभत्ती २७. कप्पवडंसियाओ (उनि ४) १३. अंगचू लिया २८. पुप्फियाओ अंगप्पभवा जहा परीसहा बारसमाओ अंगाओ कम्म१४. वियाहचुलिया २९. पुप्फचूलियाओ प्पवायपुवाओ णिज्जूढा। जिणभासिया जहा दुमपत्त१५. वग्गचूलिया ३०. वण्हिदसाओ गादि। पत्तेयबुद्धभासियाणि जहा काविलिज्जादि । (नन्दी ७८) संवाओ जहा णमिपब्वज्जा के सिगोयमेज्जं च। तं एते कालिकश्रुत अनेक प्रकार का है--- सव्वेव बंधप्पमोक्खत्थं छत्तीसं उत्तरज्झयणा कया। . (१) उत्तराध्ययन (१६) अरुणोपपात (उचि पृ ७) (२) दशाश्रुतस्कन्ध (१७) वरुणोपपात उत्तराध्ययन के छत्तीस अध्ययन कर्तृत्व की दृष्टि से (३) बृहत्कल्प (१८) गरुडोपपात चार वर्गों में विभक्त होते हैं(४) व्यवहार (१९) धरणोपपात १. अङ्गप्रभव-कर्मप्रवादपूर्व से उद्धृत परीषह अध्ययन (५) निशीथ (२०) वैश्रमणोपपात २. जिनभाषित--द्रुमपत्रक (६) महानिशीथ (२१) वेलन्धरोपपात ३. प्रत्येकबुद्धभाषित-कापिलीय .. ... (७) ऋषिभाषित . (२२) देवेन्द्रोपपात ४. संवाद समुत्थित नमिप्रव्रज्या और केशिगौतमीय (८) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति (२३) उत्थानश्रुत (९) द्वीपसागरप्रज्ञप्ति (२४) समुपस्थानश्रुत .. अंगचूलिका (१०) चन्द्रप्रज्ञप्ति (२५) नागपरिज्ञापनिका __अंगस्स चूलिका जहा आयारस्स पंच चूलातो, (११) क्षुल्लिकाविमान- (२६) निरयावलिका दिट्टिवातस्स वा चूला। (नन्दीचू पृ ५९) __ प्रविभक्ति (२७) कल्पावतंसिका अंगों की चूलिका अंगचूलिका है। जैसे --आचारांग (१२) महाविमानप्रविभक्ति (२८) पुष्पिका की पांच चूलाएं, दृष्टिवाद की चूलाएं। (१३) अंगचूलिका (२९) पुष्पचूलिका व्याख्याचूलिका (१४) व्याख्याचूलिका (३०) वृष्णिदशा वियाहो भगवती । तीए चूला वियाहचूला। (१५) वर्गचूलिका (नन्दीचू पृ५९) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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