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________________ प्रदेश का दृष्टांत ३७७ नय पएसो सिय जीवपएसो सिय खंधपएसो" । एवं ते है-तुम जो पांच प्रकार का प्रदेश कहते हो वह उचित अणवत्था भविस्सइ, तं मा भणाहि-भइयव्वो पएसो, नहीं है। भणाहि-धम्मे पएसे से पएसे धम्मे, अधम्मे पएसे क्यों? यदि तुम्हारे मत में पांच प्रकार का प्रदेश से पएसे अधम्मे। एवं वयंतं सदं संपइ समभिरूढो । है तो इस प्रकार प्रत्येक प्रदेश के पांच प्रकार होने पर भणति-जं भणसि धम्मे पएसे से पएसे धम्मे जाव खंधे वह प्रदेश पच्चीस प्रकार का होता है। इसलिए मत पएसे से पएसे नोखंधे, तं न भवइ । कहो "पांच प्रकार का प्रदेश"। यह कहो प्रदेश भाज्य कम्हा ? एत्थ दो समासा भवंति, तं जहा--तप्पु (विकल्पनीय) है, स्यात् धर्म का प्रदेश है, स्यात् अधर्म रिसे य कम्मधारए य। तं न नज्जइ कयरेणं समासेणं । का प्रदेश है। भणसि ? कि तप्पुरिसेणं ? किं कम्मधारएणं ? जइ तप्पुरिसेणं भणसि तो मा एवं भणाहि, अह कम्मधारएणं ऋजुसूत्र के ऐसा कहने पर सम्प्रति शब्द नय कहता भणसि तो विसेसओ भणाहि-धम्मे य से पएसे य सेसे है-तुम जो कहते हो कि प्रदेश भाज्य है वह उचित पएसे धम्मे, अधम्मे य से पएसे य सेसे पएसे अधम्मे । नहीं है। एवं वयंतं समभिरूढं संपइ एवंभूओ भणति-जं जं क्यों ? तम्हारे मत में प्रदेश भाज्य है तो इस प्रकार भणसि तं तं सव्वं कसिणं पडिपूण्ण निरवसेसं एगग्गहण धर्म प्रदेश भी स्यात् धर्म का प्रदेश, स्यात् अधर्म का गहीयं । देसे वि मे अवत्थू, पएसे वि मे अवत्थू । प्रदेश, स्यात् आकाश का प्रदेश, स्यात् जीव का प्रदेश, _ (अनु ५५७) स्यात् स्कन्ध का प्रदेश हो सकता है। इस प्रकार प्रदेश दृष्टान्त द्वारा प्रतिपादित नय-प्रमाण अनवस्था हो जाएगी, इसलिए मत कहो प्रदेश भाज्य है, नगम नय कहता है--"छहों का प्रदेश" जैसे--धर्म यह कहो-जो धर्मात्मक प्रदेश है वह प्रदेश धर्म है । जो का प्रदेश, अधर्म का प्रदेश, आकाश का प्रदेश, जीव का अधर्मात्मक प्रदेश है वह प्रदेश अधर्म है। प्रदेश, स्कन्ध का प्रदेश और देश का प्रदेश । ___शब्द नय के ऐसा कहने पर सम्प्रति समभिरूढ नगम नय के ऐसा कहने पर संग्रह नय कहता है- कहता है जो तुम कहते हो, जो धर्मात्मक प्रदेश है वह "तुम कहते हो छहों का प्रदेश" वह उचित नहीं है। प्रदेश धर्म है यावत स्कन्धात्मक प्रदेश है वह प्रदेश नो क्यों ? जो देश का प्रदेश है वह उसी द्रव्य का है। स्कन्ध है, वह उचित नहीं है। जैसे यहां कोई दृष्टान्त है ? मेरे दास ने गधा खरीदा, किसलिए ? यहां दो समास होते हैं, जैसे-तत्पुरुष दास भी मेरा है और गधा भी मेरा है। इसलिए यह 4ह और और कर्मधारय । अतः यह नहीं जाना जाता कि किस मत कहो कि "छहों का प्रदेश"। यह कहो कि "पांचों समास से कहते हो ? क्या तत्पुरुष समास से कहते हो? का प्रदेश", जैसे धर्म का प्रदेश, अधर्म का प्रदेश । क्या कर्मधारय समास से कहते हो ? यदि तत्पुरुष समास संग्रह नय के ऐसा कहने पर व्यवहार नय कहता है से कहते हो तो यह मत कहो, यदि कर्मधारय समास से -- तुम जो पांचो का प्रदेश कहते हो वह उचित नहीं कहते हो तो विशेषण सहित कहो-प्रदेश जो धर्म (धर्मात्मक) है वह प्रदेश धर्म है। प्रदेश जो अधर्म ____ क्यों ? यदि पांच मित्रों का कोई सामान्य (सबके (अधर्मात्मक) है वह प्रदेश अधर्म है। अधिकार में) द्रव्य समूह है, जैसे-हिरण्य, सुवर्ण, धन ___ समभिरूढ के ऐसा कहने पर सम्प्रति एवंभूत नय या धान्य । वैसे ही पांचों का प्रदेश सामान्य है तो यह कहना उचित हो सकता है, जैसे -"पांचों का प्रदेश", कहता है --जिस धर्मास्तिकाय आदि के सम्बन्ध में तुम इसलिए मत कहो "पांचों का प्रदेश"। यह कहो "पांच कहते हो वह सब कृत्स्न, प्रतिपूर्ण, निरवयव और एक प्रकार का प्रदेश", जैसे-धर्म का प्रदेश, अधर्म का। शब्द के द्वारा अभिधेय है क्योंकि मेरी दृष्टि में देश भी प्रदेश। वास्तविक नहीं है और प्रदेश भी वास्तविक नहीं है। व्यवहार नय के ऐसा कहने पर ऋजुसूत्र नय कहता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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