SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अन्ध-परिचय ७. पिण्डनियुक्ति यह दशवकालिकनियुक्ति का ही एक अंग है। दशवकालिक के पिण्डैषणा नामक पांचवें अध्ययन की नियुक्ति ग्रंथपरिमाण में विस्तृत थी, अतः नियुक्तिकार ने उसे पिण्डनियुक्ति के रूप में पृथक् किया। इसकी प्रथम गाथा में ही नियुक्ति के सम्पूर्ण अधिकारों की सूचना दे दी गई है-पिण्ड, उद्गम, उत्पादना, एषणा, संयोजना, प्रमाण, अंगार, धूम और कारण-इन नौ अधिकारों का विवेचन अनेक ऐतिहासिक कथानकों आदि के माध्यम से किया गया है। पिण्ड शब्द की व्याख्या में द्रव्य पिंड का विस्तृत विवेचन किया गया है। पृथ्वीकाय आदि जीवों के अनेक भेद-प्रभेद-सचित्त, अचित्त, मिश्र, व्यवहार सचित्त, निश्चत सचित्त आदि तथा उनकी उपयोगिता की चर्चा ४८ गाथाओं (९ से ५४) में की गई है। आधाकर्म (भिक्षादोष) के प्रसंग में सार्मिक के प्रकार और उनकी कल्प्याकल्प्य विधि का उल्लेख तेईस गाथाओं (१३७-१५९) में है। वृत्तिकार ने २२ पृष्ठों में इनकी सांगोपांग व्याख्या की है। इसमें ६७१ गाथाएं हैं। इन्हीं के साथ ४६ भाष्य गाथाएं भी हैं, जिनमें आधाकर्म, औद्देशिक, विशोधि-अविशोधि आदि विषयों का निरूपण है। इसकी आचार्य मलयगिरिकृत वृत्ति में नियुक्ति-भाष्यगत कथानक संस्कृत में व्याख्यायित हैं। इसका ग्रंथपरिमाण ७००० श्लोक है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy