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________________ आपृच्छना अनेक अपेक्षा लोक के संख्येय भाग में हैं, असंख्येय भाग में हैं, संख्येय भागों में हैं अथवा देशोनलोक में हैं । द्रव्यों की अपेक्षा वे नियमतः समूचे लोक में हैं । क्षेत्रानुपूर्वी सादि पारिणामिक गम-ववहाराणं आणुपुव्विदव्वाई कयरम्मि भावे होज्जा ? नियमा साइपारिणामिए भावे होज्जा । ( अनु १७३ ) भावचिन्तायामानुपूर्वीद्रव्याणि नियमात् सादिपारिणामिके भावे, विशिष्टाधेयाधारभावस्य सादिपारिणामिकात्मकत्वाद् । ( अनुहावृ पृ ४९ ) द्रव्यानुपूर्वी के द्रव्य सादि पारिणामिक हैं । वे किसी न किसी क्षेत्र में रहते हैं । अतः क्षेत्रानुपूर्वी के प्रकरण में आनुपूर्वी आदि द्रव्यों को आधार - आधेय संबंध के कारण सादि पारिणामिक कहा गया है। १५. कालानुपूर्वी द्रव्यपर्यायत्वात्कालस्य त्यादिसमयस्थित्याद्युपलक्षितद्रव्याण्येव । ( अनुहावृ पृ ५१ ) द्रव्य का एक पर्याय है काल । तीन समय, चार समय, पांच समय यावत् असंख्यात समय से उपलक्षित द्रव्य कालानुपूर्वी कहलाता है । कालानुपूर्वी के प्रकार १०७ णिहिया य अणोवणिहिया य । पत्ता, तं जहा - ओव - ( अनु १९६ ) कालानुपूर्वी के दो प्रकार हैं- औपनिधिकी और अनोपनिधिकी। औपनिधिकी के प्रकार ओवणहिया कालाणुपुव्वी तिविहा पण्णत्ता, तं जहा - पुव्वाणुपुब्वी पच्छाणुपुब्वी अणाणुपुब्बी । ( अनु २१८ ) औपनिधिक कालानुपूर्वी के तीन प्रकार हैं१. पूर्वानुपूर्वी २ पश्चानुपूर्वी, ३. अनानुपूर्वी । अनौपनिधिको के प्रकार ( अणोवणिहिया सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा -- नेगमववहाराणं संगहस् य । ( अनु १९८ ) 1 अनोपनिधिक के दो प्रकार हैं १. नगम और व्यवहार नय-सम्मत अनौपनिधिकी । २. संग्रह नय-सम्मत अनौपनिधिकी। Jain Education International आनुपूर्वी नंगम-व्यवहार सम्मत नेगम-ववहाराणं अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - अट्ठपयपरूवणया, भंगसमुक्कि - तणया, भंगोवदंसणया, समोयारे, अणुगमे । ( अनु १९९ ) नैगम और व्यवहार नय सम्मत अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी के पांच प्रकार हैं १. अर्थपदप्ररूपण, २. भंग - समुत्कीर्तन, ३. भंगोपदर्शन, ४. समवतार, ५. अनुगम I अर्थपदप्ररूपण ..... नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया - तिसमय ट्ठईए आणुपुवी जाव दससमयट्ठिईए आणुपुव्वी संखेज्जसमयट्टिईए आणुपुव्वी असंखेज्जसमयईए आणुपुव्वी । एमईए अणाणुपुवी । दुसमपट्टिईए अवत्तव्वए । “ ( अनु २०० ) नैगम और व्यवहार नय-सम्मत अर्थपदप्ररूपण - तीन समय की स्थिति वाला पुद्गल आनुपूर्वी यावत् दस समय की स्थितिवाला पुद्गल आनुपूर्वी, संख्येय समय की स्थिति वाला पुद्गल आनुपूर्वी असंख्येय समय की स्थिति वाला पुद्गल आनुपूर्वी । एक समय की स्थिति वाला पुद्गल अनानुपूर्वी । दो समय की स्थिति वाला पुद्गल अवक्तव्य है । आनुपूर्वीनाम - नाम-कर्म की एक प्रकृति । आनुपूर्वी - वृषभनासिकान्यस्तरज्जू संस्थानीया, यया कर्मपुद्गलसंहत्या विशिष्टं स्थानं प्राप्यतेऽसौ । यया वोर्ध्वोत्तमांगाधश्चरणादिरूपो नियमतः शरीरविशेषो भवति साऽऽनुपूर्वी । ( आवहावृ १ पृ ५६ ) आनुपूर्वीनाम के दो अर्थ हैं-१. बैल की नासिका में डाली गई रस्सी के समान कर्मपुद्गलों की वह संहति, जो जीव को अपने उत्पत्ति स्थल पर ले जाती है, वह आनुपूर्वीनामकर्म है । २. नामकर्म की जिस प्रकृति के उदय से मस्तक, चरण आदि अंगों की रचना होती है, वह आनुपूर्वीनामकर्म है । आपृच्छना - कार्य करने के लिए गुरु की स्वीकृति लेना | सामाचारी का एक भेद । (द्र. सामाचारी) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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