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________________ आचार्य के प्रकार आचारांग - प्रथम अंग । आचार्य - जो स्वयं आचार का और दूसरों से आचार करवाते हैं । ० जो शिष्यों को सूत्र और अर्थ की वाचना देते हैं । O • जो तीर्थंकर के प्रतिनिधि होते हैं । जो नमस्कार महामंत्र में तीसरे पद के वाचक हैं | १. आचार्य परिभाषा ० प्रकार २. आचार्य के उपमान ३. आचार्य का दायित्व ४. आचार्य का वैयावृत्त्य ५. आचार्य के प्रायोग्य आहार ६. आचार्य की आराधना ७. आचार्य की आशातना के परिणाम ८. आचार्य - उपाध्याय ९. वाचनाचार्य : वाचक वंश (द्र. अंगप्रविष्ट) पालन करते हैं का पालन * आचार्य के पास बैठने की विधि * आचार्य के साथ बातचीत की विधि * आचार्य के प्रति शिष्य के कर्तव्य * आचार्य का अनुशासन : शिष्य की दृष्टि (द्र. शिष्य ) * आचार्य और विनय ( ब्र. विनय ) १. आचार्य की परिभाषा * आचार्य की शुश्रूषा से श्रुत-प्राप्ति * आचार्य - उपाध्याय नमस्कार की निष्पत्ति * आचार्य : अंगबाह्य के रचयिता * आचार्य-परंपरा (द्र. शिष्य) ( द्र. शिष्य ) ( द्र. शिष्य ) जो पांच आचार- ज्ञान, दर्शन, वीर्य का अनुपालन करते हैं, अनुरूप Jain Education International (ब्र. शिक्षा ) ( द्र. नमस्कार ) (द्र. अंगबाह्य ) ( द्र. स्थविरावलि ) पंचविहं आयारं आयरमाणा तहा पभासंता । आयारं दंसंता आयरिया तेण वुच्चति ॥ ( आवनि ९९४ ) चारित्र, तप और अर्थ की व्याख्या ८० आचार्य करते हैं और दूसरों को आचार की क्रियाओं का सक्रिय प्रशिक्षण देते हैं, वे आचार्य हैं । सुत्तत्थतदुभयादिगुणसम्पन्नो अप्पणो गुरुहि गुरुपदे त्थावितो आयरिओ । (दअचू पृ २१९) जो वा अन्नोऽवि सुत्तत्थतदुभयगुणेहि अ उववेओ गुरुपए ण ठाविओ सोऽवि आयरिओ चेव । ( दजिचू पृ ३१८ ) आचार्यं सूत्रार्थप्रदं तत्स्थानीयं वान्यं ज्येष्ठार्यम् । ( दहावृ प २५२ ) ० जो सूत्र, अर्थ और तदुभय का ज्ञाता है तथा अपने गुरु द्वारा गुरुपद पर स्थापित है, वह आचार्य कहलाता है । ० जो सूत्र और अर्थ का ज्ञाता है किन्तु गुरुपद पर स्थापित नहीं है, वह भी आचार्य कहलाता है । सूत्रार्थदाता अथवा गुरुस्थानीय ज्येष्ठ आर्य आचार्य कहलाता है । आचार्य के प्रकार आयरियो पंचविहो, तं जहा पव्वावणायरियो, दिसारियो, सुयस्स उद्दिसणायरियो, सुयस्स समुद्दिसणायरिओ, सुयस्स वायणायरिओ । ( अचू पृ १५ ) आचार्य के पांच प्रकार हैं प्रवाजनाचार्य - दिशाचार्य - व्युत्पन्न शिष्य को यात्रा का निर्देश देने --- प्रव्रज्या देने वाले । वाले । o उद्देशनाचार्य -- सूत्र - पठन का निर्देश देने वाले । समुद्देशनाचार्य - सूत्र - स्थिरीकरण का निर्देश देने वाले । वाचनाचार्य - वाचना देने वाले - पढाने वाले । पंचविहे आयरिए पन्नत्ते, तं जहा- धम्मायरिए पव्वावणायरिए उवट्टावणायरिए वायणायरिए वक्खाणायरिए । ( विभाकोवृ पृ ५ ) आचार्य के पांच प्रकार हैंधर्माचार्य - धर्म का उपदेश देने वाले । प्रव्राजनाचार्य -- प्रव्रज्या देने वाले । उपस्थापनाचार्य - उपस्थापित करने वाले । वाचनाचार्य - वाचना देने वाले । व्याख्याचार्य - अनुयोग करने वाले । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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