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(३०८) सरिणवाइय अभिधानराजेन्द्रः।
सरिणवाइय त्रिकयोगानिर्दिदिक्षुराह
। आई पारिणामिए जीवे , एस णं से णामे उवसमिए तत्थ णं जे ते दस तिगसंजोगा ते णं इमे- खोवसमिए पारिणामिअनिष्फरणे : , कयरे से णामे अस्थि णामे उदइए उपसमिए खयनिष्फम्मे १, अस्थि खइए खोवसमिए पारिणामिअनिष्फले ?, खइग्रं सणामे उदइए उवसमिए खोवसमनिप्फराणे २, अत्थि म्मत्तं । खोवसमियाइं इंदिआई पारिणामिए जीवे, एस णामे उदहए उवसमिए पारिणामिअनिएफएणे ३, अस्थि ण से णामे खडए खोवसमिए पारिणामिनिष्फरणे णामे उदइए खइए खोवसमनिप्फरणे ४, अस्थि णामे
। १०। (सू० १२७) उदइए खइए पारिणामिअनिप्फरणे ५, अत्थि णामे उद- एतदप्यौदयिकोपशभिकक्षायिकक्षायोपशमिकपारिणामिकइए खोवसमिए पारिणामिअनिष्फरणे ६, अत्थिं णामे भावपञ्चकं भूम्यादावालिख्य तत श्राद्यभावद्वयस्योपरितनउपसमिए खइए खोवसमनिप्फले ७, अत्थि णामे
भावत्रयेण सह चारणायां लब्धास्त्रय इत्यादिक्रमण दशाऽपि
भावनीयाः,पतानेव स्वरूपतो विवरीषुराह-'कयरे से गामे उवसमिए खइए पारिणामिअनिष्फरणे ८, अत्थि णामे
उदइए उपसमिए ' इत्यादि , व्याख्या पूर्वानुसारताऽउवसमिए खोवसमिए पारिणामिअनिष्फम्मे है, अस्थि त्रापि कर्त्तव्या, नवरमत्रौदयिकक्षायिकपारिणामिकभावत्रयणाम खइए खोवसमिए पारिणामिअनिप्फणे १० । क- निष्पन्नः पञ्चमा भङ्गः फेवलिनः सम्भवति , तथाहियरे से णामे उदइए उवसमिए खयनिप्फरणे ?, उद
औदयिकी मनुष्यगतिः , क्षायिकाणि ज्ञानदर्शनचारित्राणि,
पारिणामिकं तु जीवत्वमित्येते त्रया भावास्तस्य भवन्ति, इए त्ति मणुस्से उवसंता कसाया खइअं सम्मत्तं ।
औपमिकस्त्विह नास्ति, मोहनीयाश्रयत्वेन तस्योक्लत्वात् , एस णं से णाम उदइए उबसमिए खयनिप्फम्मे १, कयरे
मोहनीयस्य च कर्वालन्यसम्भवात् । तथा क्षायोपशमिसे णामे उदइए उवसमिए खोवसमियनिष्फरणे ?, कोऽप्यत्रापास्य एव क्षायोपशमिकानामिन्द्रियादिपदार्थाउदइए ति मणुस्से उवसंता कसाया खोबसमिआई नामस्यासम्भवाद्, 'अतीन्द्रियाः केवलिन ' इत्यादिवच
नात् तस्मात् पारिशण्याद्यथोक्नभावत्रयनिष्पन्नः पञ्चमो भङ्गः इंदिआई, एस णं से णाम उदइए उवसमिए खो
केलिनः सम्भवति, पष्ठस्त्यौदयिकक्षायोपशमिकपारिणावसमनिष्फले २, कयरे से णामे उदइए उपसमि
मिकभावनिप्पन्नो नारकादिगतिचतुपयऽपि संभवति । ए पारिणामिअनिप्फरणे ? , उदइए त्ति मणुस्से उव- तथाहि-ौदयिकी अन्यतरा गतिः, क्षायोपशमिकानीसंता कसाया पारिणामिए जीवे, एस णं से णाम ! न्द्रियाणि , पारिणामिकं जीवत्वमित्यवमेतद्भाववयं सर्वाउदइए उपसमिए पारिणामिअनिप्फरणे ३, कयरे से |
स्वपि गतिषु जीवानां प्राप्यत इति, शास्त्वा त्रि
कयोगाः प्ररूपणामात्रम् , क्वाप्यसम्भवादिति भावनीयम् । णामे उदइए खइए खओवसमनिष्फरणे ? , उदइए त्ति
चतुष्कसंयोगाग्निर्दिशन्नाहमणुस्से खइअं समत्तं खोवसमिश्राई इंदिआई।
तत्थ णं जे ते पंच चउक्कसंजोगा ते णं इमे-अस्थि एस णं से णामे उदइए खइए खोवसमनिप्फरणे ४,
णामे उदइए उवसमिए खइए खोवसमनिष्फाम १ अस्थि कयरे से णाम उदइए खइए पारिणामिअनिष्फरणे ?,
णाम उदइए उपसमिए खइए पारिणामिअनिष्फामे२ अस्थि उदइए त्ति मणुस्से खइअं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे,
णाम उदइए उवसमिए खओवसमिए पारिणामिअनिष्फो३ एस णं से नाम उदइए खइए पारिणामिअनिष्फले ५, अस्थि णामे उदइए खइए खविसभिए परिणामिअनिष्फकयरे से णाम उदइए खोवसमिए पारिणामिअनिष्फ
४ अस्थि णाम उबसमिए खइए खोवसमिए पारिणाहो ?, उदइए त्ति मणुस्से खोबसमियाई इंदिआई पा- भिअनिष्फो शकयरे से णाम उदइए उपसमिए खइए खरिणामिए जीये, एस णं से णामे उदइए खोव- ओवसमनिष्फाम ?, उदइए त्ति मणुस्से उवसंता कसासमिए पारिणामिअनिष्फरणे ६, कयरे से णामे
या खइयं सम्मत्तं खोवसमिाइं इंदिआई । एस णं से उवसमिए खइए खोवसमनिप्फरमे ?, उवसंता कसाया
णामे उदइए उपसमिए खइए खोवसमनिष्फरमे १, कयरे खइअं सम्मत्तं खोवसमिश्राइं इंदिआई, एस णं से से नामे उदइए उवसमिए खइए पारिणामिअनिष्फरणे, णामे उवसमिए खइए खोवसमनिप्फरणे ७, कयरे उदइए ति मणुस्से उवसंता कसाया खइ सम्मत्त से णाम उपसमिए खइए पारिणामिअनिप्फएणे ?, उव- पारिणामिए जीव । एस ण से नामे उदइए उपसमिए । संता कसाया खइअं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस खडा पारिणामिअनिष्फ २, कयर से णामे उदइए णं से णामे उपसमिए खइए पारिणामिअनिष्फ ८, उपसमिए खग्रावसमिए पारिणामिअणिप्फम ? , उदइए कयरे से णामे उपसमिए खोवसमिए पारिणामिअनि- ति मगुस्स उवसंता कसाया खोवसमिआई इंदिअाई प्फरणे ?, उवसंता कसाया खोवसमियाइं इंदि- पारिणामिए जीवे । एस ण से णाम उदइए उपसभिए ख.
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