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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश 11 Rosaceal (रोझेसी)। उत्पत्ति स्थान-यह मध्य तथा पश्चिम हिमालय के साधारण उष्ण प्रदेशों में मुरी से नेपाल तक २ हजार से ११ हजार फीट तक होता है। सेवती, गुलाब और कूजा यह तीनों क्षुप जाति के वृक्ष वन, उपवन और पुष्पवाटिका में होते हैं। (शा०नि० पुष्पवर्ग पृ० ३७१) विवरण-यह तरुणी कुल का जंगली गुलाब का क्षुप गुलाब जैसा ही होता है। छोटा बड़ा, श्वेत, पीला, नारंगी आदि भेदों से यह कई प्रकार का होता है। प्रायः पीताभश्वेत पुष्प वाला अधिक होता है। तथा बाग बगीचों में लगाया जाता है। (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग २ पृ० ४२५) कली कुटगपुप्फरासि कुटगपुप्फरासि (कुटकपुष्पराशि) सफेद पुष्पों वाला कुड़ा भ० २२/३ प० १७/१२८ विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में श्वेत रंग की उपमा के लिए 'कुडग पुष्फरासि' शब्द आया है। कुटक दो प्रकार का होता है-सितपुष्पवाला और असितपुष्प वाला। यहां श्वेतरंग की उपमा के लिए है इसलिए श्वेत पुष्पवाला कुडा ग्रहण किया गया है। देखें कुटय शब्द। शारव ... विवरण-गुलाब की जाति की यह इतस्ततः फैलने वाली विस्तृत लता होती है। काण्ड ५ इंच तक मोटे तथा ५० फीट तक ऊंचे होते हैं। कांटे भूरे रंग के होते हैं। पत्ते संयुक्त २ से ६ इंच लम्बे एवं वृन्त पर कांटे होते हैं। पत्रक संख्या में ५ से ६ अंडाकार, तीक्ष्णाग्र, दन्तुर १ से ३ इंच लम्बे एवं अधर पृष्ठ पर मृदुरोमश होते हैं। पष्प श्वेत. सगंधि १ से १५ इंच व्यास में एवं इनके वन्त पर कांटे नहीं होते, फल नारंगी रक्त या हलके लाल रंग के गोल या अंडाकार एवं व्यासें .३ से .६ इंच रहते हैं। पुष्पकाल अप्रैल से जून एवं फलोद्गम अक्टूबर से फरवरी तक। (भाव०नि० पुष्पवर्ग० पृ०४६६, ४६७) कुटय कुटय (कुटक) कुटज, कुडा ओ० ६ जीवा० ३/५८३ प० १/४१/२ कुटकः। पुं। कुटजवृक्षे (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० २७६) विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण (प० १४१।२) में कुटय शब्द पर्वकवर्ग के अन्तर्गत है। कुडा वनस्पति में पर्व होते हैं इसलिए यहां ग्रहण किया गया है। कुटक के पर्यायवाची नाम कुटज: कौटजः कौटो, वत्सको गिरिमल्लिका।। कलिङ्गो मल्लिकापुष्प, इन्द्रवृक्षोथ वृक्षकः ।।१३।। कुटज, कौटज, कौट, वत्सक, गिरिमल्लिका, कलिङ्ग, मल्लिकापुष्प, इन्द्रवृक्ष और वृक्षक ये कुटज के पर्याय हैं। (धन्व०नि० व० २।१३ पृ० १०७,१०८) कुटज, मल्लिकापुष्प, शक्राश, कटुक, कुटक आदि ३० नाम कुडा के संगृहीत हैं। (शा०नि० गुडूच्यादि वर्ग पृ० २५२) कुज्जाय गुम्म कुज्जायगुम्म (कुब्जक गुल्म) कूजा का गुल्म जीवा० ३/५८० ज०२/१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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