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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश कुन्दुरेजकर, लबान। वस्तज। अ०-Olibanum है। यह सुगंधित तथा स्वाद में कुछ कड़वा होता है। (ऑलिबॅनम) Frankincense (फ्रेंकिन्सेस)। ले०-Gum (भाव०नि० कपूर्रादिवर्ग पृ० २१३) resin of Boswellia carterii Birdw & other sp. (गमरेजिन ऑफ बॉस्वेलिया कार्टेराइ वर्ड एण्ड अदर कुच्च स्पीसीज)। ___ उत्पत्ति स्थान-यह शल्लकी (सलई) की ही जाति कुच्च (कूर्च) जीवक प० १/३७/५ के विदेशी वृक्ष का गोंद है जो अरब तथा अफ्रीका के विमर्श-संस्कृत के कूर्च शब्द का वनस्पतिपरक एबीसीनिया नामक स्थान से आता है। बाजार में कुन्दुरु अर्थ नहीं मिलता है। कूर्चक शब्द का अर्थ जीवक मिलता नाम से यही बिकता है एवं बम्बई में इसका आयात होता है। कूर्चशीर्षक का अर्थ भी जीवक होता है। संभव है कूर्चशीर्षक का संक्षिप्तरूप कूर्च रह गया हो। विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में कुच्च शब्द गुच्छ वर्ग के अन्तर्गत है। जीवक के फूल गुच्छों में आते हैं इसलिए यहां जीवक अर्थ ग्रहण किया जा रहा है। कूर्चक और कूर्चशीर्षक के पर्यायवाची नाम हस्वाङ्गकः शमी कूर्चशीर्षक: कूर्चको मतः ।।८६ ।। जीवको जीवदः क्षोदी, मंगल्यो मधुरः प्रियः जीवनः शृङ्गकः श्रेयो, दीर्घायु चिरजीव्यपि।।६० ।। हस्वाङ्गक, शमी, कूर्चशीर्षक, कूर्चक, जीवक, जीवद, क्षोदी, मंगल्य, मधुर, प्रिय, जीवन,श्रृंगक, श्रेय, दीर्घायु और चिरजीवी ये जीवक के पर्याय हैं। (कैयदेव० नि० ओषधिवर्ग पृ० २०) देखें जीवग शब्द। कुज्जय कुज्जय (कुब्जक) कूजा प०१/३८/१ कुब्जक के पर्यायवाची नाम कुब्जको भद्रतरुणो, वृत्तपुष्पोऽतिकेसरः ।। महासहः कण्टकादयः, खोलिकुलसङ्कुलः ।।१०१।। ___ कुब्जक, भद्रतरुण, वृत्तपुष्प, अतिकेसर, महासह, कण्टकाढ्य, खर्व तथा अलिकुलसकुल ये सब कूजा के नाम हैं। (राज०नि० १०/१०१ पृ० ३१७) अन्य भाषाओं में नाम हि०-कूजा । गु०-कुजड़ो। म०-काष्ठे शेवती। कुब्ज इति कोङ्कणे प्रसिद्धः। गो०-कूजा। बं०-कूजा। ले०-Rosa Moschata Herrm (रोजा मॉस्केटा) Fam. विवरण-इसके छोटे-बड़े एवं अंडाकार ५ से २५ मि०मी० बड़े टुकड़े होते है, जो कभी-कभी आपस में चिपके रहते हैं। इसका बाह्य स्तर मटमैला एवं पीताभ, नीलाभ या हरीआभायुक्त होता है। यह आसानी से टूट जाता है। भीतरी सतह चिकनी तथा अर्धपारदर्शक होती Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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