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________________ 294 अतिसुगंधित होती 1 (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग २ पृ०१३६) सुत्थियसाय सुत्थियसाय (स्वस्तिक शाक) सुनसुनिया साग, चौपतिया शाक उवा ०१/ २६ स्वस्तिक के पर्यायवाची नाम शितिवारः शितिवरः, स्वस्तिकः सुनिषण्णकः ।। श्रीवारकः सूचिपत्रः पर्णकः कुक्कुटः शिखी ।। २६ ।। शितिवार, शितिवर, स्वस्तिक, सुनिषण्णक, श्रीवारक, सूचिपत्र पर्णक, कुक्कुट और शिखी ये चौपतिया के संस्कृत नाम हैं। (भाव०नि०शाकवर्ग० पृ०६७३) अन्य भाषाओं में नाम हि० - चौपतिया, सिरियारी, सुनसुनिया साग । बं० - सुषुणी शाक, शुनिशाक, शुशुनी शाक । म० - कुरडू। गु० - सुनिषण्णक । ले० - Marsilea Quadrifolia (मारसीलिया क्वाड्रीफोलिया) P. Minuta (पा० मिन्युटा) । उत्पत्ति स्थान- यह शाकवर्गीय वनस्पति भारतवर्ष के प्रायः सब प्रान्तों में सजल स्थानों में कहीं न कहीं पायी जाती है। वर्षा ऋतु में यह अधिक उत्पन्न होती है । विवरण- इसमें नीचे विसपी, पतला एवं सशाख काण्ड होता है। इसके छत्ते पानी के ऊपर तैरते हुए दिखाई पड़ते हैं। प्रत्येक पत्रदंड पर चार-चार पत्ते स्वस्तिक क्रम में निकले रहते हैं। इस कारण इसे चतुष्पत्री या चौपतिया भी कहते हैं। पत्ते और दण्ड आकार में छोटे बड़े हुआ करते हैं। पत्ते चांगेरी के पत्तों के समान किन्तु उनसे बड़े होते हैं। बीजाणुकोष एक विशेष प्रकार की अण्डाकार परन्तु कुछ-कुछ चिपटी रचना के अन्दर रहते हैं जो फल की तरह मालूम होती है। (भाव०नि०शाकवर्ग पृ०६७५) सुभग सुभग (सुभग) कमल जीवा ०३ / २६६, २६१ ५०१ / ४६ विमर्श - प्रज्ञापना (१/४६) में उप्पल से लेकर तामरस तक १४ नाम कमल के भेदों के हैं उनमें सुभग Jain Education International जैन आगम वनस्पति कोश शब्द कमल के पर्यायवाची नामों में से एक है । पर सुभग शब्द कमलवाचक अर्थ में आयुर्वेद कोष में अभी तक नहीं मिला है। ... सुभगा सुभगा (सुभगा) वनमल्ली. सेवतीगुलाब ५०१/४०/२ सुभगा | स्त्री० | कैवर्तिका । शालपर्णी । हरिद्रा । नीलदुर्वा । तुलसी । प्रियंगु । कस्तूरी। सुवर्णकदली । वनमल्ली । (शालिग्रामौषधशब्दसागर पृ०२०१ ) विमर्श - सुभगा के ऊपर ६ अर्थ दिए गये हैं । प्रस्तुत प्रकरण में सुभगा शब्द वल्लीवर्ग के अन्तर्गत है, इसलिए कैवर्त्तिका और वनमल्ली अर्थ ग्रहण किया जा सकता है। कैवर्तिका का वाचक संघट्टशब्द इससे अगले श्लोक में आया है इसलिए यहां वनमल्ली अर्थ ग्रहण किया जा रहा है। लोके । वनमल्ली | स्त्री० [स्वनामख्यात लतायाम् । सेवतीति (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ६३३) विमर्श - सेवतीगुलाब - Rosa Alba (रोजा अॅल्बा) नानक एक विशेष भेद होता है जिसमें पुष्प श्वेत होते हैं । विवरण- गुलाब की कई जातियां तथा उनके भेद पाये जाते हैं। उत्तर पश्चिम हिमालय तथा काश्मीर के पहाड़ों पर यह वन्य अवस्था में भी पाया जाता है। अधिकतर यह बागों में लगाया हुआ मिलता है। फूलों के वर्णभेद से, सुगंधभेद से, कांटों की उपस्थिति या अभाव की दृष्टि से इसके अनेक भेद पाए जाते हैं। (भाव०नि०पुष्पवर्ग० पृ०४८८, ४८ ६) सुमणसा सुमणसा (सुमनस्) मालती पुष्पलता, चमेली प०१/४०/३ सुमनस् के पर्यायवाची नाम जाती मनोज्ञा सुमना, राजपुत्री प्रियम्वदा मालती हृद्यगन्धा च, चेतिका तैलभाविनी । । १२६ ।। जाती, मनोज्ञा, सुमना, राजपुत्री, प्रियंवदा, मालती, हृद्यगन्धा, चेतकी और तैलभाविनी ये मालती के For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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