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________________ 272 फूल पीले रंग के आते हैं। पुष्पदल के मध्य का हिस्सा बैंगनी रंग का होता है। डोडी (फल) गोलाकार नुकीली होती है। बीज भूरे रंग के होते हैं। इसका सर्वांग खट्टा होता है । तन्तु के लिए इसकी खेती की जाती विशेष कर दक्षिण में । (भाव० नि० हरीतक्यादिवर्ग० पृ० ८८८६) .... सणकुसुम सकुसुम (शण कुसुम) शणपुष्पी, पटसन । उत्त० ३४/८ शणपुष्प के पर्यायवाची नाम मातुलानी जन्तुतन्तु, द्वितीयस्तु महाशणः । । ६३ ।। शीघ्रप्ररोही बलवान्, शणो भङ्गा प्रकीर्तिता मातुलानी, जन्तुतन्तु, महाशण, शीघ्रप्ररोही, शण और भङ्गा ये सब शणपुष्प के पर्याय हैं। विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में सणकुसुम शब्द पीले रंग की उपमा के लिए प्रयुक्त हुआ है। शण के पीले पुष्प रंग के होते हैं। कुसुम और पुष्प पर्यायवाची हैं। (कैयेदव नि० धान्यवर्ग ६ / ६३ पृ० ३१८ ) शण की शाखाओं के सिरे पर पुष्प धारण करने वाली शलाकाएं १/२ से १ फीट लंबी पतली होती है। उन पर पीले रंग की तरह एकान्तर फूल आते हैं 1 ( धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ६ पृ० २७७) सतपत्त सतपत्त (शतपत्र) रक्त कमल, सौ पुष्प दल वाला कमल । जीवा० ३ / २६१ देखें अरविंद शब्द | सतपोरग सतपोरग (शतपोरक ) शतपोरक ईख Jain Education International भ० २१/१८ प० १/४१/२ शतपोरकः।पौरः। पुं। इक्षुविशेषे (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० १०२२) जैन आगम वनस्पति कोश शतपोरक के पर्यायवाची नाम वंशवच्छतपोरोपि, किञ्चिदुष्णः समीरजित् । ।७ ॥ शतपोरई वंशईख के समान गुणों वाली है और किंचित् गर्म है तथा वात को जीतती है। (मदन०नि० इक्षुकादिवर्ग ६/७) विमर्श - इस शब्द की संस्कृत छाया शतपर्वक भी हो सकती है। Sataparvaka शतपर्वक (A.H.) and Sataporoba (S.S.) may be the names of the same variety of Ikhu इक्षु | (Geossary of Vegetable Drugs in Brhattrayi Page. 388) 0.00 सतरि सतरि (शतावरी) शतावरी सयरी स्त्री (शतावरी ) शतावर का गाछ ( पाइया सद्दमहण्णव पृ० ८७८) देखें सयरी शब्द | भ० २२/३ DOOO सतवण्ण सतवण्ण (शक्तिपर्ण) छतिवन, सतौना प० १/३६/३ शक्तिपर्णः । पुं। सप्तपर्णवृक्षे (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० १०१६ ) विमर्श - प्रस्तुत प्रकरण के पाठान्तर में सत्तवण्ण पाठ है । शक्तिपर्ण शब्द निघंटुओं में नहीं मिला है। सप्तपर्ण शब्द मिलता है। दोनों एक ही अर्थ के वाचक हैं। इसलिए सप्तपर्ण के पर्यायवाची शब्द दे रहे हैं । देखें सत्तवण्ण शब्द । For Private & Personal Use Only सती सतीण (सतीन) मटर भ० ५/२०६ : २१/१५ ५० १/४५/१ सतीन के पर्यायवाची नाम कलायो मुण्डचणको, हरेणुश्च सतीनकः ।। त्रासनो नालकः कण्ठी, सतीनश्च हरेणुकः । । ६६ ।। कलाय, मुण्डचणक, हरेणु, सतीनक, त्रासन, नालक, कण्ठी, सतीन तथा हरेणुक ये सब मटर के नाम हैं। (राज० नि० १६ / ६६ पृ० ५४७) www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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