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________________ 266 पीलापन या किंचित् लाली युक्त होता है । (भाव० नि० कर्पूरादिवर्ग० पृ० २३६ ) वीहि वीहि (व्रीहि) व्रीहि षष्टि धान्य , भ० ६ / १२६, २१/६ प० १/४५/१ व्रीहि के पर्यायवाची नाम अशोचा पाटला व्रीहि, वहिको व्रीहिधान्यकः ।। व्रीहिसंधान्य मुद्दिष्टः, अर्द्धधान्यस्तु व्रीहिकः । । ३० ।। गर्भेपाकणिकः षष्टिः, षष्टिको बलसम्भवः । सुधान्यं पथ्यकारी च, सुपविः प्रज्ञविप्रियः । । ३१ । । अशोचा, पाटला, व्रीहि, व्रीहिक, व्रीहिधान्यक, व्रीहिसंधान्य अर्द्धधान्य, व्रीहिक, गर्भेपाकणिक, षष्टि, षष्टिक, बलसम्भव सुधान्य, पथ्यकारी, सुपवि तथा प्रज्ञविप्रिय ये सब व्रीहि षष्टि धान्य के नाम हैं। (राज० नि० १६ / ३०, ३१ पृ० ५३६) विवरण- व्रीहि धान्य के लक्षण-जो चावल वर्षा ऋतु में पैदा होते हैं अर्थात् पककर तैयार होते हैं एवं ओखली में छांटने से जो सफेद होते हैं तथा देर में पकते हैं वे व्रीहिधान्य कहलाते हैं । व्रीहि धान्य के भेद - कृष्ण व्रीहि, पाटल, कुक्कुटाण्डक, शालामुख और जतुमुख ये सब व्रीहि धान्य के भेद हैं। इन व्रीहियों में कृष्णव्रीहि सर्वोत्तम होता है। Jain Education International वेणु वेणु) बांस वेणु के पर्यायवाची नाम (भाव०नि० धान्यवर्ग० पृ० ६३८) COO वेणु भ० २१/१७ वंशस्त्वक्सारकर्मारत्वचिसारतृणध्वजाः ।। शतपर्वा यवफलो, वेणुमस्करतेजनाः । । १५३ ।। वंश, त्वक्सार, कर्मार, त्वचिसार, तृणध्वज, शतपर्वा, यवफल, वेणु, मस्कर और तेजन ये सब नाम वांस के हैं। (भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ० ३७६) अन्य भाषाओं में नाम हि० - वांस । गु० - वांस । म० - बांबू । बं० - बाँश । जैन आगम : वनस्पति कोश ते० - बेदरू बोंगा। ता०- - मुंगिल । कोल० - कटंगा । मा० - वांब | सन्ताल०-माट । अ० - कसब । अंo - Bamboo (बांबू) । ले० - Bambusa arundinacea Willd (बांबुसा अरुन्डिनेसिया विल्ड) Fam. Gramineae (ग्रॅमिनी) । तना For Private & Personal Use Only पुष्प उत्पत्ति स्थान - वांस इस देश के प्रायः सब प्रान्तों में उत्पन्न किया जाता है और छोटी-छोटी पहाड़ियों के आस-पास आप ही आप जंगली भी उत्पन्न होता है । .... पत्र विवरण- छोटे, बड़े, मोटे, पतले, ठोस और पोले इन भेदों से वांस कई प्रकार का होता है। इसकी ऊंचाई ३० से ४० फीट से १०० फीट तक होती है और मोटाई ३-४ से १२ - १६ इंच तक होती है। इसके पत्ते १ से १. ५ इंच चौड़े और ५ से ६ तक लंबे होते हैं। प्रायः वांस का वृक्ष पुराना होने पर फूलता फलता है और कोई-कोई वांस अवधि के पूर्व ही फूलने फलने लगता है। इसके फूल छोटे-छोटे सफेद होते हैं। (भाव० नि० गुडूच्यादिवर्ग पृ० ३७६, ३७७) www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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