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________________ 234 कलाय । म० - उडीद । ता०- उलुंडु । गु० - अडद । क० - उड्डु । ते० - उट्टुलु । फा० - माष । अ० - माषा | अं०-Black gram (ब्लॅक ग्राम) । ले० - Phaseolusmungo linn (फेसीओलस्मुंगो) Fam, Leguminosae (लेग्युमिनोसी) । उत्पत्ति स्थान - इसकी उपज हर प्रान्त में होती है । विवरण- इसका क्षुप झाड़ीदार फैला, एक फीट ऊंचा अनेक शाखा युक्त एवं रोमावृत होता है। पुष्प पीले होते हैं । फली पतली, गोल, १.५ से २.५ इंच लम्बी एवं बीजों के बीच-बीच में भीतर दबी हुई होती है। बीज ८ से १५ . काले या गहरे भूरे या कभी-कभी हरे होते हैं । वे हरे होते हुए भी मूंग की तरह अन्दर से पीले न होकर सफेद होते हैं। | उडद के छोटे तथा बड़े भेद भी पाये जाते हैं। बड़े में दाने कुछ काले तथा अच्छे होते हैं। ये दोनों भिन्न-भिन्न काल में बोये जाते हैं । (भाव० नि० धान्यवर्ग पृ०६४४) .... मासपण्णी मासपण्णी (माषपर्णी) जंगली उडद Jain Education International भ०२३/८ प०१/४८/५ माषपर्णी के पर्यायवाची नाम माषपर्णी च काम्बोजी, कृष्णवृन्ता महासहा । । आर्द्रमाषा सिंहविन्ना, मांसमाषाऽश्वपुच्छिका । । १३६ ।। माषपर्णी, काम्बोजी, कृष्णवृन्ता, महासहा, आर्द्रमाषा, सिंहविन्ना, मांसमाषा और अश्वपुच्छिका ये माषपर्णी के पर्याय हैं। (धन्व० नि०१ / १३६ पृ०५६) अन्य भाषाओं में नाम हि० - मषवन, माषोनी, वनउड़दी, जंगलीउड़द, बनउर्दी, बनउड़द । बं० - माषानी । म० - रानउड़ीद । गु० - जंगलीउड़द । क० - काडड्यु, काडुलंद । ले०Teramnus labialis Spreng (टेरॅम्नस् लेबिएलिस् स्पेंग ) Fam. Leguminosae (लेगुमिनोसी) । उत्पत्ति स्थान- यह सब प्रान्तों के जंगल झाड़ियों में कहीं न कहीं उत्पन्न होती है। विवरण - यह लताजाति की वनौषधि झाड़ियों पर जैन आगम वनस्पति कोश लिपटती हुई (चक्रारोही) बढ़ती है और वर्षाऋतु में अधिक पाई जाती है। पत्ते त्रिपत्रक और पत्रक भिन्न-भिन्न कद के होते हैं । पत्रक कभी '६ से १' ३ इंच और कभी १ से ३ इंच लम्बे होते हैं। ये अंडाकार या लट्वाकार (अग्य पत्रक कभी-कभी अभिलट्वाकार) नीचे के तल पर तलशायी रोमों से युक्त होते हैं । सवृन्त पुष्पों की मंजरी बहुत पतली, १.५ से ५ इंच लम्बी और पुष्प गुलाबी नीलारुण या सफेद होते हैं। फली पतली, लम्बी सीधी या कुछ-कुछ टेढ़ी होती है। बीज ताजी अवस्था में लाल तथा सूखने पर काले और संख्या में लगभग १० होते हैं । मासावल्ली मासावल्ली (माषावल्ली) माषावलि, माषाली माषाली के पर्यायवाची नाम माषाल्यामस्थिद्रावी च, कृमिहत् मांसद्रावणः माषाली, अस्थिद्रावी, कृमिहृत, मांसद्रावण ये माषावलि के संस्कृत नाम हैं । (सोढल निघण्टु I ६६३ पृ०७६) प०१/४०/४ मिणालिया मिणालिया (मृणालिका) कमलनाल मृणाली | स्त्री । मृणाले । (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ०८३६ ) विमर्श - प्रस्तुत प्रकरण में मिणालिया शब्द सफेदवर्ण की उपमा के लिए प्रयुक्त हुआ है। कमलनाल सफेद होता है, मृणाली शब्द स्त्रीलिंग में मृणाल का वाचक है, इसलिए यहां कमलनाल अर्थ ग्रहण कर रहे हैं। मृणालिका के पर्यायवाची नाम विसं मृणालं बिसिनी, मृणाली स्यात् मृणालिका । मृणालकं पद्मनालं, तण्डुलं नलिनीरुहम् ।। १४२ ।। विस, बिसिनी, मृणाली, मृणालिका, मृणालक, पद्मनाल, तण्डुल और नलिनीरुह ये मृणाले के पर्याय हैं । For Private & Personal Use Only .... ( धन्व० नि०४ / १४२ पृ०२१६ ) www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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