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________________ 224 गौरशाखी नीरवृक्षों, मधुवृक्षो मधुस्रवः । वानप्रस्थो मधुष्ठीलो, हस्वपुष्पफलः स्मृतः ।।४५७ ।। जो महुआ जल में होता है उसे मधूलक, जलज, दीर्घपत्रक, गौरशाखी, नीरवृक्ष, मधुवृक्ष, मधुस्रव, वानप्रस्थ. मधुष्ठील, ह्रस्वपुष्पफल कहते हैं । (कैयदेव०नि० औषधिवर्ग श्लो० ४५६, ४५७ पृ० ८४) अन्य भाषाओं में नाम हि० - महुआ, जलमहुआ । बं० - मौल, मउल मौया, जलमउल । म० - मौहा चा वृक्ष, मोहवृक्ष, जलमोहा । गु० - महुडो, जलमहुडो । क० - महुइप्पे, जलम, तोरेइप्पे, यरडुइप्पे । ते० - इषा, पिन्ना । ता०कटइल्लुहिप | फा०-चकां । 310-Elloopatree ( इलूपाट्री) । ले० - Bassia Longifolia Linn (वेसिया लॉगी फोलिया) Fam. Sapotaceae (सॅपोटेसी) । शाख / बीज उत्पत्ति स्थान - जलमहुआ नदी नालों के किनारे या आर्द्र जंगलों में उत्पन्न होता है। यह दक्षिण में अधिक होता है। होते हैं। पर उनसे छोटे होते हैं। Jain Education International पत्र विवरण- इसके वृक्ष, पत्ते आदि महुवे के समान डोड़ी ..... (भाव०नि० आम्रादिफलवर्ग० पृ० ५८०) जैन आगम वनस्पति कोश मधुररस भ० २३/६ मधुररस (मधुररसा) मुलहठी विमर्श - शालिग्राम निघंटु में मुलहठी के संस्कृत के नाम श्लोक में हैं, शेष २० नाम अन्य निघंटुओं से संग्रहीत कोष्ठक में हैं, उनमें एक नाम मधुररसा है । मधुररसा का पर्यायवाची नाम ८ मधुयष्टी यष्टिमधू, र्यष्ट्याह्ना क्लीतका स्मृता मधुकं यष्टिमधुकं, यष्टिकामधु यष्टिका ।। मधुयष्टी, यष्टिमधू, यष्ट्याह्वा, क्लीतका, मधुक, यष्टिमधुक, यष्टिकामधु, यष्टिका (यष्टिमधु, यष्टिमधुका, यष्टीका, यष्टिमधुका, यष्ट्याह्न, यष्ट्याह्नक, क्लीतक, यष्टि, मधुस्रवा मधुयष्टिक, क्लीतन, क्लीतनीयक, मधुम, मधुवल्ली मधूली, मधुररसा, अतिरसा, मधुर नाम, शोषापहा, सौम्या) मधुयष्टि के ये २८ पर्यायवाची नाम हैं। इनमें एक नाम मधुररसा है। (शा०नि०पृ० १२८. १२६) अन्य भाषाओं में नाम हि० - मुलहटी, मीठीलकरी, मुलैठिका। बं०यष्टीमधु । म० - ज्येष्ठ मधु । गु० - जेठोमधनो मूल, जेठीमधनो शीरो क० - यष्टिमधु वल्लियष्टिमधु । ते०यष्टीमधुकम् | फा० - वेखमेहेकूमझु । अ० - असलुससूस मुंकरसरव्यूसूस । अं०- Lipuorice root ( लिकोरिस्ट) । ले०—Glycyrrhiza Glabra linn ( ग्लिस्ह्वाइझाग्लॅब्रा लिन०) Fam. Leguminasae (लेग्युमिनोसी)! एलैठी उत्पत्ति स्थान - उत्तर अफ्रीका, ग्रीस, सीरिया एसिया माइनर, परसिया, अफगानिस्तान, दक्षिणीरूस For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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