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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश 223 अन्य भाषाओं में नाम हानिकारक होती है। (भाव०नि० हरीतक्यादि वर्ग पृ० २३.२४) हिo-लालचीत, लालचीता, लालचित्रक, लाल चितउर | बं०-लालचिता, रक्तो चितो | म०-लालचित्रक मणोज्ज क०-केम्पू. चित्रमूल । ते०-येर्राचित्रमूलम् । ता०-शिवप्पु मणोज्ज (मनोज) कामजा चित्रमूलम्। चित्तूरमोल, कोडिमूली। उ०-रत्तचिता, भ० २२/५ जीवा० ३/५८० प० १/३८/१ एकतचिता । मला०-चेक्कीकोटुबेरी।अंo-RoseColoured Lead Wort (रोज कलर्ड लेडवोट)। मनोजवृद्धिः ।पुं। कामवृद्धिक्षुपे। (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ७८३) विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में मणोज्ज शब्द गुल्मवर्ग के अन्तर्गत है। मनोजवृद्धि शब्द क्षुप है। मनोजवृद्धि का संक्षिप्त रूप मनोज (मणोज्ज) है। इसलिए यहां मणोज्ज का अर्थ कामजा ग्रहण कर रहे हैं। यह कर्णाटक देश में प्रसिद्ध है। मनोजवृद्धि के पर्यायवाची नाम स्यात् कामवृद्धिः स्मरवृद्धिसंज्ञो मनोजवृद्धि मर्दनायुधश्च कन्दर्पजीवश्च जितेन्द्रियाः कामोपजीवोपि च जीवसंज्ञः ।।१६६ ।। कामवृद्धि, स्मरवृद्धि, मनोजवृद्धि, मदनायुध, कन्दर्पजीव, जितेन्द्रियाह्न, कामोपजीव तथा जीव ये कामवृद्धि के नाम हैं। (राज०नि०४/१६६ पृ० १०२) (कामजा चण्डितेन्द्रिया कर्णाटक देशे प्रसिद्धा) .... उत्पत्ति स्थान-यह सिक्किम और खासिया की तराइयों में पाया जाता है। इसको वाटिकाओं में भी लगाते मणोज्जगुम्म हैं परन्तु थोड़ी असावधानी से नष्ट हो जाता है। मणोज्जगुम्म (मनोजगुल्म) कामजा क्षुप _ विवरण-इसका क्षुप २ से ४ फुट ऊंचा सदा हरा जीवा० ३/५८० ज०२/१० भरा रहता है। गर्मी के दिनों में कुछ पुराने पत्ते गिर जाते देखें मणोज्ज शब्द। हैं। पत्ते विपरीत १.५ से ३.५ इंच तक लंबे, १ से १५ इंच चौड़े, अण्डाकार नोकदार, चिकने, कोमल और मधु मोगरा के समान होते हैं। फूल लाल और सफेद चीते भ० २३/१ के समान लसीले होते हैं। लाल चित्रक गुणों में सफेद मधु (मधु) जलमहुआ चित्रक की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली और तीव्र गुण । सम्पन्न है। पारे को बांधने वाला, लोहे को वेधने वाला जीवन्तीवृक्षे (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ७७५) तथा कुष्ठ को नष्ट करने वाला है। इसकी थोड़ी मात्रा मधुवृक्ष के पर्यायवाची नामउत्तेजक तथा अधिकमात्रा तीव्र मदकारी विष के समान मधूकोऽन्यः मधूलःस्याज जलजो दीर्घपत्रकः ।४५६ ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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