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________________ 208 जैन आगम : वनस्पति कोश AEGLE MARMELOS CORR. से युक्त एवं चिकने तथा रंगहीन गोंद से लिपटे रहते हैं। फलों में नंद सुगंध आती है तथा इसका स्वाद गोंद की तरह होता है। बेल के दो तरह के फल होते हैं । लगाये हुए फल बड़े सुस्वादु एवं कम बीज वाले होते हैं। जंगली फल छोटे कुछ मादक एवं इसके बीज अधिक गोंद से लिपटे होते हैं। (भाव०नि०गुडूच्यादिवर्ग०पृ०२७४,२७५) . . बिल्ली बिल्ली (बिल्वी) हिंगुपत्री, डिकामाली। प०१/३७/२ विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में यह गुच्छवर्ग के अन्तर्गत है। इसके डिकामाली वृक्ष से बिल्ली के मूत्र के समान गंध आती है इसलिए इसे बिल्ली कहना युक्तियुक्त है। बिल्वी के पर्यायवाची नाम पृथ्वीका हिडपत्री च, कवरी दीर्घिका पृथुः । तन्वी च दारुपत्री च, बिल्वी वाष्पी नवाह्वया ।।७० ।। पृथ्वीका हिंगुपत्री, कवरी, दीर्घिका, पृथु, तन्वी, विवरण-इसका वृक्ष मध्यमाकार का ५० फूट से दारुपत्री, बिल्वी तथा वाष्पी ये सब हिंगुपत्री के नव नाम भी ऊंचा होता है। शाखाओं पर सीधे, मोटे, तीक्ष्ण एक हैं। (राज०नि०६/७० पृ०१४८) इंच तक लम्बे कांटे होते हैं। टहनियों पर पत्ते विषमवर्ती अन्य भाषाओं में नामरहते हैं। प्रत्येक सींक पर तीन-तीन पत्रकों से युक्त पत्ते हि०-नाडीहिंगु, नारीहींग, कलपती हींग, रहते हैं। पत्रक कसौंदी के पत्तों के आकार वाले एवं डिकामाली, डिकेमाली, कमरी। बं०-हिंगुविशेष । म०अंडाकार भालाकार होते हैं। बीचवाला पत्ता अन्य दो से डिकेमाली। गु०-डीकामारी। काठीयावाड-मालण, कुछ बड़ा होता है। फालान चैत्र में पुराने पत्ते गिर जाते मालडी। क०-डिक्कामल्लि। ता०-कुवै । हैं और चैत्र वैशाख में क्रम से नवीन पत्ते निकल आते ते०-गेरिविक्कि, करिगा, तेल्लामंगा। अ०-कनखाम । हैं। इसी समय में हरियाली लिए सफेद रंग के ४-५ अं०-Gummy gardena (गम्मी गार्डेनीया) Cambiresin पंखुड़ियों वाले एवं करीब १ इंच चौड़े फूल लगते हैं और (कॅम्बीरेसिन)। ले०-Gardeniagummiferalinn (गार्डेनिया उनमें मधु के समान मंद गंध निकलती है। फल गोलाकार गम्मीफेरा) Fam. Rubiaceae (रुबिएसी)। ३ से ८ इंच व्यास के हरिताभ रंग के, पकने पर पीताभ उत्पत्ति स्थान-इसके वृक्ष अधिकतया दक्षिण भरे रंग के एवं चिकने होते हैं। बहिर्भित्ति से बाह्य कठोर भारत में पाये जाते हैं। काष्ठमय छिलका बनता है। जो करीब ३ मि.मी. मोटा विवरण-इसका वृक्ष छोटा तथा झाड़दार होता है। रक्ताभ, रंग का एवं अंदर से रेशेदार होता है। मध्यभित्ति पत्ते बिनाल ४.५ से ७x२ से २.५ से.मी. बड़े, दीर्घवृत्ताभ, एवं अन्तर्भित्ति से गदा बनता है, जो आवरण से चिपका आयाताकार, स्वरूप में कुछ अमरुद के पत्तों के समान हुआ तथा हलके रक्ताभ नारंगी रंग का होता है। बीज तथा चिकने, चमकीले होते हैं। फूल सुगंधहीन, प्रारंभ बहुत १० से १५ समूहों में विनौले के सदृश, सफेद रोमों में श्वेत किन्तु बाद में पीतवर्ण के. १ से ३ साथ-साथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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