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________________ 206 जैन आगम : वनस्पति कोश बिंदु विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में बाणकुसुम शब्द नील विवरण-यह वटादिवर्ग और महावृक्षादि कुल का रंग की उपमा के लिए प्रयुक्त हुआ हैं। बाण नाम नीलपुष्प मध्यमकद का वृक्ष होता है। जो जंगल कांटेदार, वाली कटसरैया का है। छोटी-बड़ी अनेक शाखायुक्त, सर्वदा हरा, १० से ३० फीट ऊंचा वृक्ष । बहुधा प्रशाखा के अंत भाग में लम्बा, बाणगुम्म तीक्ष्ण कांटा, मुख्य वृन्त पर प्रायः सामने दो पर्णदल बब्बूलवत् क्षुद्र या विविध आकार के। पुष्प हरे सफेद, बाणगुम्म (बाणगुल्म) नीलपुष्पवाली कटसरैया छोटे, सुगंधित। फल अण्डाकार लम्बगोल,चिकने, का क्षुप तेजस्वी, अतिकठोर । लम्बाई लगभग २ से २.५ इंच। जीवा०३/५८० फलकच्चा होने पर हरा और पकने पर पीला । पुष्पकाल विवरण-इसका क्षुप झाड़दार, कांटेदार तथा २ ग्रीष्म । फल पाक शरद ऋतु में। से ५ फीट तक ऊंचा होता है। (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ६ पृ०४७६) (भाव०नि०. पुष्पवर्ग०पृ०५०३) भाव प्रकाशकार ने इसे गुल्म माना है। इसका वृक्ष या गुल्म करीब २० फीट तक ऊंचा होता है। (भाव०नि० वटादि वर्ग पृ०५३१) बिंदु (बिन्दुक) हिगोट प०१/४०/५ बिन्दुक के पर्यायवाची नाम बिभेलय इङ्गदो भल्लक स्तिक्तमज्जः स्यात् बिभेलय (बिभीतक) बहेडा पूतिकर्णिकः ।।८६४ ।। प०१/३५/२ कण्टकीर्णोऽङ्गारवृक्षो, बिन्दुको व्यावहारिकः। विमर्श-प्रस्तत प्रकरण में बिभेलय शब्द एकास्थि तिक्तकः कण्टकिवृक्षः, कण्टकस्तापसद्रुमः ।।८६५।। वर्ग के अन्तर्गत है। बहेडा में एक ही गुठली होती है। भल्लक, तिक्तमज्ज, पूतिकर्णिक, कण्टकीर्ण, बिभीतक के पर्यायवाची नामअंगारवृक्ष, बिन्दुक, व्यावहारिक, तिक्तक, कण्टकिवृक्ष, विभीतकः कर्षफलो, वासन्तोऽक्षः कलिद्रुमः। कण्टक, तापसद्रुम ये इंगुद के पर्याय हैं। सम्वर्तको भूतवासः, कल्किहार्यो बहेडकः ।।२१२ ।। . (कैयदेव नि०ओषधिवर्ग पृ०१६१) विभीतक, कर्षफल, वासन्त, अक्ष, कलिद्रुम, अन्य भाषाओं में नाम सम्वर्तक, भूतवास, कल्किहार्य और बहेडक ये सब हि०-हिगोट, इंगुजा, हिंगुआ। म०-हिंगणबेट, बिभीतक के पर्याय हैं। हिंगणो। बं०-इंगोट, हिंगोन, जीयासुता । (धन्व०नि०२/२१२ पृ०७८) राज०-हिंगोरिया, हिंगोरा। कच्छी-अंगारिया। अन्य भाषाओं में नाम गु०-इंगोरीयो । ताo-नचुदन, नानफुनदा । ते०-गारि, हि०-बहेडा, फिनास, भैरा। बं०-बयडा, बेहेडा इंगदी। ओ०-इंगुदी, हाला। मला०-नचुट। बोहरा । म०-बेहेडा, धाटिंगवृक्ष | गल-बेहेडा । क०-तोर। कना-इंगलरे, इंगलुके। अ०-हिलेलजे। अंo-Delil -हिलेलज । अ०-Delil तै०-बल्लां, तडिचेटु । ता०-तनिताण्डि, तोअण्डि। (डे लिल)। ले०-Balanites Roxburghii Planch फा०-बलेले । अ०-बलेलज़ | अंo-Beleric Myrobal(बेलेनाईटीस राक्सबरघारई) ans (बेलेरिक मैरोबेलन्स) Beddanut (बेड्डानट)। उत्पत्ति स्थान-यह भारत के शुष्क भागों में ले०-Terminalia belerica Roxb (टर्मिनेलिया बेलेरिका) दक्षिण-पूर्व पंजाब एवं दिल्ली से सिक्किम, बंगाल, मध्य Fam. Combretaceae (कॉम्ब्रिटेंसी)। भारत, बम्बई तथा दक्षिण में होता है। उत्पत्ति स्थान-हमारे देश के प्रायः सब प्रान्तों में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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