SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 215
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन आगम वनस्पति कोश तथा स्त्रीपुष्प बड़े रहते हैं। फल अंडाकार १.५ से २ इंच चौड़ा तथा २ से २.५ इंच लम्बा एवं पकने पर चमकीले नारंगी रंग का होता है, जिसके अन्दर सुपारी (बीज) रहती है। (भाव०नि० आम्रादिफलवर्ग० पृ०५६३) पूयफलीवण पूयफलीवण (पूगफलवन) सुपारी के वृक्षोंका वन । जीवा ०३ / ५८१ देखें पूयफली शब्द | पूसफली पूसफली (पुष्पफली) कुम्हडी भ०२२/६, प०१/४०/१ पुष्पफला । स्त्री । कूष्माण्डलतायाम् (वैद्यक निघंटु) (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ०६८८ ) पुष्पफली के पर्यायवाची नाम कूष्माण्डीकी पुष्पफली, पचनालिश्चतुर्विधः । कर्कारुरफला कन्दी, स्यादारु राजकर्कटी ॥ ३ ॥ कूष्माण्डीकी, पुष्पफली, पचनालि, चतुर्विध, कर्कारु, अफला, कन्दी, आरु, राजकर्कटी ये पेठे के नाम हैं। (मदन०नि० शाकवर्ग०७/३) अन्य भाषाओं में नाम हि० - कुम्हरा, सफेद कद्दु । बं०-सादा कुम्हर । म० - कौला । ता० - सुरईकई । अंo - Vegetable Marrow (वेजिटेबुल मॅरो) Field Pumpkin (फील्ड पम्पकिन) । ले०—Cucurbita pepo linn ( कुकुर विटापेपो ) Fam Cucurbitaceae (कुकुरविटेसी) । उत्पत्ति स्थान- यह सभी प्रान्तों में कृषित अवस्था में होता है। विवरण - इसकी लता वर्षायु दृढ़ एवं खरदरी से रोमश होती है। पत्ते गोलाकार, अल्पखंडित एवं वृन्त तीक्ष्ण रोमश होते हैं। पुष्प पीले रंग के आते हैं। फल कई प्रकार के किन्तु सामान्यतः नाशपाती के आकार वाले या कुछ आयताकार होते हैं। इसका डण्ठल कडा, अनेक गहरी धारियों से युक्त एवं फल के आधारीय भाग में फूला हुआ नहीं रहता। इसके अनेक प्रकार होते हैं। गुद्दी हलके Jain Education International रंग की एवं गंधहीन होती है। बीजों को तथा उसके तेल को खाने के काम में लाते पेलुगा ( सनपर्णी । 195 I (भाव० नि० शाकवर्ग० पृ०६८०) पेलुगा ) सन जाति का एक पौधा, प०१ / ४८/६ विमर्श - पाठान्तर में पलुगा शब्द है । पेलुगा शब्द का वनस्पति नाम निघंटुओं में नहीं मिलता। पलुगा शब्द का मिलता है । इसलिए यहां पलुगा शब्द ग्रहण किया जा रहा है। संभव है लिखने में प का पे हो गया हो । पलुगा ( पलुआ ) सनपर्णी पलुआ-सन जाति का एक पौधा । (बृहत् हिन्दी कोश ) विमर्श - सन शिम्बीकुल का पौधा है। सनपर्णी भी शिम्बीकुल का झाड़ीनुमा पौधा है । लगता है पलुआ सनपर्णी होना चाहिए । सनपर्णी के अन्य भाषाओं में नाम सं०- सनपर्णी । कच्छी० - झीपटीबेल । गु-चीपकणो बेलो | ते० - मुय्या कुपोन्ना । ले० - Pseudarthria Viscida W&A. ( स्यूडेरथरिया विसिडा)। I For Private & Personal Use Only सनपर्णी- यह एक झाड़ीनुमा वनस्पति होती है । इसके पत्तों पर सफेद रंग का रुंआ होता है। इसके फूल बहुत छोटे, हल्के गुलाबी या बैंगनी होते हैं। इसके बीज कुछ भूरापन लिए हुए काले रंग के होते हैं। यह वनस्पति पश्चिमी प्रायद्वीप में पैदा होती हैं। यह सारा पौधा इतना चिकना होता है कि इसका कोई भी हिस्सा कपड़े में लग जाने से वह चिपक जाता है। ( वनौषधि चन्द्रोदय नवां भाग पृ०८ ३) पोंडइ ) बोदरी पोंडई ( भ०२२/४ विमर्श - प्रस्तुत प्रकरण (भग०२२/४ ) में पोंडइ शब्द है। प्रज्ञापना (१/३७/१) में इसके स्थान पर बोंडइ शब्द है। पोंडई शब्द का वानस्पति अर्थ नहीं मिलता है। www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy