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________________ 184 तथा कुछ मधुर होता है । इसका शरबत बनाकर लोग गरमी के दिनों में पीते हैं। (भाव०नि० आम्रादिफलवर्ग० वर्ग०५८.१) ......... पारेवय पारेवय (पारेवत, पालेवत) पालेवत, पालो जीवा०३/५८३ पारेवत के पर्यायवाची नाम पारेवतन्तु रैवतमारेवतकञ्च किञ्च रैवतकम् मधुफलममृतफलाख्यं पारेवतकच सप्ताह्वम् । ८७ ।। पारेवत, रैवत, आरेवतक, रैवतक, मधुफल अमृतफल तथा पारेवतक ये सब पारेवत के सात नाम हैं। (राज० नि० वर्ग ११ / ८७ पृ०३५७) अन्य भाषाओं में नाम हि० - पारेवत । गु० - पालेवत । बं० - पेराया । कामरूपदेश में रैवत । विवरण- पारेवत और महापारेवत भेद से दो प्रकार का है। पालेवत के पर्यायवाची नाम पालेवतं सितं पुष्पैस्तिन्दुकं च फलं स्मृतम् । अन्यन्मानवकं ज्ञेयं, महापालेवतं तथा । ६६ ।। पालेवत, सितपुष्प, तिन्दुकफल ये पालेवत के नाम हैं। दूसरा मानवक यह नाम महापालेवत का है। (मदन०नि० फलादिवर्ग०६ / ६६ पृ. १३२ ) विवरण - यह छोटे सेव के समान होता है, शिमले के पहाड़ में इसको पालो कहते हैं। (मदन०नि० पृ०१३२) पालंका पालंका (पालङ्की, पालङ्क्या) पालक का शाक उवा ०१ / २६ पालङ्की । स्त्री । पालङ्के (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ०६६४) पालक्या के पर्यायवाची नाम Jain Education International पालक्या वास्तुकाकारा, किंचिच्चीरितपत्रिका | ६४५ ।। पालक्या, वास्तुकाकारा, चीरितपत्रिका ये पालंक्य के पर्याय हैं। अन्य भाषाओं में नामहि० - पालकशाक, पलाकीशाक, पला । बं० - पालंशाक, पालंग शाक। म० - पालक्यशाक. पालख, पालक । गु-पालख नी भाजी । गौ०पालङ्शांक | क० - पालक्य | ता० - वसैइलक्किरैं । ते० - मट्टरवच्चलि । फा० - अस्पनाख । अंo - Spinage (स्पाइनेज) Spsinach ( स्पाइनॅक) । ले० - Spinacia oleracea linn (स्पाइनेसिया ओलेरेसिया ) Chenopodiaceae (चिनोपोडिएसी) । Fam पुष्पकाट जैन आगम : वनस्पति कोश (कैय०नि० ओषधिवर्ग० पृ०११६) For Private & Personal Use Only शारव उत्पत्ति स्थान -- सभी प्रान्तों में इसको लगाया जाता है। विवरण- इसका क्षुप करीब १ फुट ऊंचा रहता है। काण्ड पोला तथा कोणयुक्त रहता है। पत्ते मोटे, मांसल, हरे, त्रिकोणाकार एवं लम्बे वृन्त से युक्त होते हैं। पुष्प बहुत छोटे गुच्छों में आते हैं। पुंजाति के क्षुप में पुष्पकाण्ड के अंत में एवं स्त्रीजाति के पुष्प पत्रकोण में आते हैं। इसमें एक प्रकार गोल पत्तों एवं चिकने बीजों वाला होता www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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