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________________ 170 जैन आगम : वनस्पति कोश उत्पत्ति स्थान-यह अनेक प्रान्तों में होती है। क प्रान्तों में होती है। (लेग्युमिनोसी)। उत्पत्ति स्थान-यह जंगली तथा कृषित दोनों प्रकार का सभी स्थानों पर होता है। दक्षिण में विशेष रूप से मैसुर में यह अधिक होता है। विवरण इसकी लता होती है। पत्ते त्रिपत्रक होते हैं। पुष्प सीधे, दण्ड पर विभिन्न रंगों के किन्तु विशेष रूप से गुलाबी और श्वेत रहते हैं। फली आयताकार, ३ इंच लंबी तथा ४ से ६ बीज युक्त होती है। हरी फलियों के ऊपर की तैलग्रंथियों से दुर्गन्धयुक्त तैल निकलता है। इसके अनेक प्रकार, बीजों के रंग, आकार आदि के अनुसार होते हैं। (भाव०नि० धान्यवर्ग पृ० ६४६) निप्फाव निरुहा निरुहा ( ) भ०२३/१ फल काट विमर्श-निरुहा शब्द के पाठान्तर में विरुहा शब्द OS दाल है। निरुहा और विरुहा दोनों शब्द वनस्पति वाचक नहीं मिले हैं। विरुहा के स्थान पर विनारुह शब्द मिलता है। विवरण-इसका क्षुप मुद्गपणी की तरह फैला प्रस्तत प्रकरण में निरुहा शब्द अनन्तजीववर्ग में कंद हआ तथा अल्पमिश होता हैं। पत्ते त्रिपत्रक होते हैं। पुष्प वाचक शब्दों के साथ है। विनारुहा शब्द का अर्थ छोटे होते हैं। फली दृढ तथा बीज बड़े होते हैं। तेलियाकंद होता है इसलिए अर्थ की समानता के कारण __ (भाव०नि० धान्यवर्ग० पृ० ६४७) विनारुहा शब्द ग्रहण किया जा रहा है। संभव है संस्कृत का विनारुहा शब्द प्राकृत में ना का लोप होकर विरुहा शब्द रह गया हो। निप्फाव (निष्पाव) भटवांसु सेम विनारुहा (विनारुहा) तेलिया कंद, त्रिपर्णिका भ० २१/१५ प० १/४५/१ विनारुहा स्त्री। त्रिपर्णिका कन्दे निष्पाव के पर्यायवाची नाम (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ६७५) । निष्पावो राजशिम्बिः स्याद, वल्लक: श्वेतशिम्बिकः। त्रिपर्णिका के पर्यायवाची नामनिष्पाव, राजशिम्बि, वल्लक तथा श्वेतशिम्बिक ये त्रिपर्णिका बृहत्पत्री, छिन्नग्रन्थिनिका च सा। भटवांसु के संस्कृत नाम हैं ।(भाव० नि० धान्यवर्ग पृ० ६४६) कन्दालः कन्दबहलाप्यम्लवल्ली विषापहा ।।११३।। अन्य भाषाओं में नाम त्रिपर्णिका, बृहत्पत्री, छिन्नग्रन्थिनिका, कन्दाल, हि०-निष्पाव, भटवास, वल्लार, सेम। कन्दबहला, अम्लवल्ली तथा विषापहा ये सब त्रिपर्णीकंद बं०-मखानसिम। म०-पावटे, वाल। गु०-ओलीया, (राज०नि०७/११३ पृ० २०८) ओलियवाल। क०-अवरे। ते०-अनुमुल। ताo-मोचै । उत्पत्ति स्थान-यह हिमालय की चोटियों पर अंo-Flat Bean (फ्लॅट बीन)। ले०-Dolichos lablab नेपाल तथा आसाम में उत्पन्न होता है। Linn (डोलिकोस् लबलब)। Fam. Leguminosae विवरण--इसका क्षुप १ से २ हाथ ऊंचा होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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