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________________ 158 जैन आगम : वनस्पति कोश के बराबर, मोटी, सीधी और कभी-कभी टूटी हुई होती है। जड़ की छाल भूरे रंग की खुरदुरी एवं काष्ठभाग श्वेत, पीताभ, मुलायम किन्तु चीमड़ रहता है। यद्यपि जमाल गोटे को दन्ती बीज कहते हैं तथापि जमालगोटा छोटी दंती का बीज नहीं है। (भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग पृ० ४००) दगपिप्पली दगपिप्पली (दकपिप्पली) जलपीपल भ० २०/२० प० १/४४/२ दकपिप्पली के पर्यायवाची नाम जलपिप्पल्यभिहिता, शारदी तोयपिप्पली।। मत्स्यादनी मत्स्यगन्धा, लाङ्गली शकुलादनी।।५।। लपिप्पली, शारदी, तोयपिप्पली, मत्स्यादनी, मत्स्यगन्धा, लाङ्गली, शकुलादनी ये पर्याय जल पिप्पली के हैं। (धन्व०नि०४/५६ पृ० १६५) अन्य भाषाओं में नाम हिo-जलपीपल, पनिसगा, भुईओकरा, बुक्कन बूटी। बं०-बुक्कन, कांचडा । म०-जलपिप्पली, रतबेल । गु०-रतवेलियो। अंo-Purple Lippia (पर्पल लिपिआ)। ले०-LippianodifloraMich.(लिप्पिआ नोडिफ्लोरा मिक) Fam. Verbenaceae (वर्बिनेसी)। उत्पत्ति स्थान-यह प्रायः सब प्रान्तों की गीली भूमि में अधिक पाई जाती है तथा बलूचिस्तान में भी होती है। विवरण-यह प्रसर (प्रसरीक्षुप) जाति की वनौषधि भूमि पर फैली हुई रहती है। पत्तेअभिमुख, अभिलट्वाकार, आरावत् दन्तुर, कुण्ठिताग्र तथा .५ से १ इंच लंबे होते हैं। श्वेत रंग के छोटे पुष्प आते हैं, जो कोण पुष्पकों से युक्त, पत्रकोणीय सदण्ड मुण्डकाकार व्यूह में आते हैं। यही बाद में फल में परिवर्तित हो जाते हैं, जो पिप्पली की तरह दिखलाई पड़ते हैं। इसके स्वरस का उपयोग करते हैं। चरक में शाकवर्ग में इसका उल्लेख मिलता (भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ० ४७०) दधिफोल्लइ दधिफोल्लइ (दधिपुष्पी) सेमचमरिया भ० २२/६ दधिपुष्पी-स्त्री। कोलशिम्बि । सुअरासेम। दधिपुष्पी के पर्यायवाची नामदधिपुष्पी तु खट्वाङ्गी, खट्वा पर्यङ्क पादिका। वृषभी सा तु काकाण्डी, ज्ञेया सूकरपादिका ।।१५३ ।। खट्वाङ्गी, खट्वा, पर्यपादिका, वृषभी. काकाण्डी और सूकरपादिका ये दधिपुष्पी के पर्याय हैं। (धन्व०नि० १/१५३ पृ०६१) विमर्श-प्राकतभाषा में फल्ल और फोल्ल शब्द देशीशब्द हैं। इनका अर्थ है फूल । प्राकृत में एक पद में भी संधी होती है। इसलिए दधिफोल्लइ की छाया दधिपुष्पी की है। दधिपुष्पी का धन्वन्तरि निघंटुकार ने केवांच अर्थ किया है। शालिग्रामौषधशब्दसागर में कोलशिम्बि (सुअरासेम) किया है। दोनों का सामअस्य भावप्रकाश निघंटु पृ० ६८६ के अनुसार इस प्रकार है-"केवांच की एक अन्य जाति होती है जिसकी फली पुष्प विमर्श-दक शब्द जल का पर्यायवाची है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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