SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 167
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन आगम : वनस्पति कोश 147 शब्द केल कोर करने से तरऊडा का संस्कृत रूप त्रपटा आर्द्र पहाड़ी जंगलों में उत्पन्न होती है। सीलोन तथा टी बन सकता है। इसके पाठान्तर में तउडा शब्द दक्षिणी प्रायःद्वीप के चाय, कॉफी एवं रबर के बगानों में है। तलऊडा शब्द में ल का लोप करने पर तऊडा शब्द इसकी खेती की जाती है। बर्मा के जंगलों में भी यह शेष रहता है। उसकी संस्कृत छाया भी त्रपुटी बनती है उत्पन्न होती है। इसलिए यहां तउडा शब्द ग्रहण कर रहे हैं। छोटी विवरण-इसका क्षुप अदरख के क्षुप के समान इलायची के पुष्प व्यूह में आते हैं। तथा बहुवर्षायु होता है और इसकी जड़ के नीचे मोटा, तउडा (त्रपुटी) छोटी इलायची मांसल, तथा अनप्रस्थ फैला हआ राइझौम (भौमिक त्रपुटी ।स्त्री। सूक्ष्मैलायाम्। (वैद्यकशब्द सिंधु पृ०५१४) काण्ड) रहता है। राइझौम से ८ से २० की संख्या में सीधे, अन्य भाषाओं में नाम चिकने, हरे रंग के चमकीले तथा ६ से ६ फीट ऊंचे काण्ड हि०-छोटी इलायची, गुजराती इलायची, चौहरा निकलते रहते हैं, जिन पर एकान्तरित पत्र लगे होते हैं। इलायची, सफेद इलायची। बं०-छोट इलायच। पत्ते १ से २ फुट लम्बे, ३ इंच तक चौड़े, आयताकारगु०-एलची कागदी,एलची, मलबारी एलची।म०-वारीक भालाकार तथा कोषाकार होते हैं। कांड के आधार भाग वेलदोडे, एलची। ते०-एलाक्कि ता०-एलाक्के, चिन्न से १ से २ फीट लम्बा पुष्पदंड निकला रहता है जो जमीन एलं। मा०-छोटी इलायची। क०-एलाक्कि। पर फैला रहता है। पुष्पव्यूहों में तथा किंचित्नील फा०-हीलबवा, हील, खैरबवा, इलायचीखर्द, हीलउन्सा। लोहिताभ वर्णयुक्त छोटे-छोटे होते हैं। पंखड़ियों के ओष्ठ अ०-काकुलह सिगार | अंo-CardamomFruit (कार्डेमोम् श्वेत होते हैं। फल हलके पीले या हरिताभ पीतरंग के फुट) lesserCardamom (लेसरकार्डेमोम्)। ले०-Elettaria १ से २ से.मी. लम्बे अंडाकार बड़े फल कुछ तिकोने, ३ Cardamomum Maton (इलेट्टेरिआ का.मोमम् मेटन) कोष वाले अनेक महीन खड़ी धारियों से युक्त, सामान्य Fam. Zingiberaceae (झिंजीबेरेंसी)। स्फोटी फल होते हैं। जिनका स्फुटन पाळिंक संधियों पर होता है। बीज फलों के अंदर अनेक छोटे बीज होते हैं, जो प्रत्येक कोष में दो-दो कतारों में एवं अक्षलग्न जरायु से लगे हुए एक साथ रहते हैं। यह हलके या गहरे रक्ताभ भूरे रंग के ४ मि.मि. लम्बे, ३ मि.मि. चौड़े, अनियमित कोण यक्त, कडे एवं ६ से ८ आडी झरियों से युक्त होते हैं। प्रत्येक बीज महीन वर्णहीन आवरण से युक्त रहता है। इसका स्वाद कुछ कटु तथा शीतल एवं गंध मनोहर होती है। (भाव०नि० कर्पूरादि वर्ग०पृ०२२३) तामरस तामरस (तामरस) नीलकमल प०१/४६ तामरस के पर्यायवाची नाम सौगन्धिकं नीलपद्म, भद्रं कुवलयं कुजम् । इन्दीवरं तामरसं, कुवलं कुंड्मलं मतम् ।।१३२ ।। सौगन्धिक, नीलपद्म, भद्र, कुवलय, कुज, इन्दीवर, तामरस, कुवल, कुड्मल ये सब सौगंधिक उत्पत्ति स्थान-यह पश्चिम तथा दक्षिण भारत में कनारा, मैसूर, कुर्ग, वैनाड, ट्रावंकोर तथा कोचीन में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy