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________________ 132 जैन आगम : वनस्पति कोश उत्पत्ति स्थान-मोरंग में और मोरंग के आसपास देखें णवणीइया शब्द हिमालय में होती है। मोरंग नेपाल के एक निकटवर्ती स्थान का नाम है और वह हिमालय के उसी प्रदेश का है। यह उत्तराखण्ड की प्रायः सभी घाटियों से सुलभ है। णहिया भागीरथी घाटी में, रैथल, वक्सया, गंगोत्री, सुक्की आदि णहिया (नहिका) शुकनासा, कटुनाही प० १/४७ छायादार ढलानो में एवं भिलंग घाटी में धुत्तू, गंजी, न नहिका It has been identified with what is called पंवाली, गेगाणा, पौवांगी, मंदाकिनी घाटी में, गौरीकुंड, sukanasa 17 by Bopadeva, If this view is correct रामबाड़ा, केदारनाथ, मदमहेश्वर आदि स्थानों में ८०००। 20 Nahika may be the name of Katunahi कटुनाही or फीट से लेकर १२००० फीट की ऊंचाई तक उपलब्ध है। Kadavinai कडवीनाई Which has been proved to be विशेषकर गौरीकुंड, रामवाडा, मंदाकिनी छोटी, मसूरी, corallocarpus epigaeus Benth, ex, Hook. चकरोत आदि उत्तराखंड में पायी जाती है। वोपादेव ने नहिका को शकनासा माना है। यदि विवरण-यह हरीतक्यादिवर्ग के अन्तर्गत अष्टवर्ग यह मत वस्तुतः ठीक है तो नहिका कटुनाही अथवा की एक महौषधि है और इसका रसोन कुल है। यह कड़वीनाई हो सकती है। हिमालय में उपलब्ध आरोही लता जाति की वनस्पति है। शुकनासा के दूसरे नाम कीरकंद, मिरचाकंद, आरोही क्षुप पांच फुट से लेकर ६ से ७ फुट तक लम्बा कटुनाही, कटुनाई है। होता है। मूल से ही लता सीधी ऊपर को निकलती है। शुकनासा के पर्यायवाची नामलता पीलापन लिए होती है। पत्र कांड से ही जुड़े रहते नहिका, शुकाख्य शुकाह्वया, और शुकाह्वा हैं। हैं। एवं पत्र आकृति में भालाकार तथा सूच्याकार होते (Glossary of Vegetable Drugs in Brhattrayi Page 219&402 हैं। ये पत्रकांड से जुड़े हुए एवं क्रमानुसार होते हैं। फल णहिका के पर्यायवाची नामकच्चे हरे वर्ण के तथा पकने पर गोल लाल वर्ण के होते शुकनासा सूक्ष्मनालो, नालिका नाहिका च सा। हैं। मूल शुष्क आर्द्रक सदृश होती है। कंद सुपाण्डुर है। शुकनासा, सूक्ष्मनाल, नालिका, नाहिका ये अथवा महामेदा पीलापनयुक्त सफेद रंग का होता है। शुकनासा के पर्याय हैं ।(अभिधानरत्न माला ४/१०५ पृ०२८) यद्यपि पाण्डुर का अर्थ श्वेत भी हो सकता है पर यहां उसे श्वेत से भिन्न समझना चाहिए क्योंकि इन दोनों के भिन्न करने का यही एक भेद है। मेदा और महामेदा दोनों एक णही ही कुल की वनौषधियां है। महामेदा के ८ दाग (चिन्ह) णही (नाही) नाही कंद भ०२२/८ प०१/४८/५ होते हैं। अथवा इतने ही कंद एक साथ जुड़े हुए होते विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में णही शब्द कंद वर्ग के हैं। महामेदा मेदा से किंचित् बड़ा होता है। पुष्प काल, शब्दों के साथ है। इसलिए यहां नाहीकंद अर्थ ग्रहण कर फलकाल, ग्राह्य अंग और औषध संग्रह काल मेदा के रहे हैं समान है। नाही के पर्यायवाची नाम(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ५ पृ० ३७५, ३७६) कटुनाही, नाहीकंद, महामूला। अन्य भाषाओं में नामणवणीइया गुम्म हि०-कड़वीनई, आकाशगदा, राक्षसगदा, णवणीइयागुम्म (नवनीतिका गुल्म) महामेदा । कड़वीनायकंद, मिर्चाकंद म०-गरजफल, नरकी चा कांदा। बं०-आकाश गड्डी। गु०-कड़वीनाही, कड़वी प० १/४७ नाइनो कंदा, मरचीबेल, नाहीकंद। अंo-Bryoms Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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