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________________ 130 जैन आगम : वनस्पति कोश से पीताभ धूसर । पत्र बब्बूल के पत्र जैसे किन्तु छोटे, संयुक्त एक-एक सीक पर १२ जोड़े पत्रक। पुष्प शीतकाल में या ग्रीष्म में; पीताभ श्वेत पुष्पों का घनहरा लगता है। फली प्रायः वर्षाकाल में ४ से ८ इंच लम्बी, आध इंच मोटी, श्वेतवर्ण की तथा इसमें धूसरवर्ण के बीज होते हैं। कच्ची फली को सांगर, सांगरी मारवाड़ में कहते हैं, तथा इसका शाक बनाया जाता है। पक्की फली को खोखा कहते हैं। यह मधुर होता है तथा बच्चे इसे खूब खाते हैं। (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ३ पृ० १४५) नालवंशः पोटगल, इत्यस्याहास्त्रिपश्चधा ।।१०२।। नाल,नड, नल, कुक्षिरन्ध्र, कीचक, वंशान्तर, धमन, शून्यमध्य, विभीषण, छिद्रान्त, मृदुपत्र, रन्ध्रपत्र, मृदुच्छद, नालवंश तथा पोटगल ये सब पन्द्रह नाम नल के हैं। (राज०नि०८/१०१,१०२ पृ० २५२) अन्य भाषाओं में नाम हिo-नरसल, नल। म०-देवनल, बोकेनल, ढवनल, नल | बं०-बड़ानल। क०-काडहोगे, सोप्पु ता०-काटुपुगैयिलै। कच्छ०-आंची। गु०-नाली। तेल-अडवियोगाकु । अ०-Wildtobacco (वाइल्ड टोबॅको) Lobelia (लोबेलिओ) ले०-LobeliaNicotianaefoliaHeyne (लोबेलिआ निकोटिआ निफोलिया हेन) Fam. Lobeliaceae (लोबेलियेसी)। णट्टमाल णट्टमाल (नक्तमाल) बड़ी करंज जीवा० ३/५८२ जं० २/८ विमर्श-उपलब्ध वनस्पति शास्त्र में णट्टमाल शब्द नहीं मिला है। संस्कृत रूप नक्तमाल मिलता है। जिसका प्राकृतरूप णत्तमाल बनता है। ट का त हुआ है। नक्तमाल (बडीकरंज) सु०सू०अ० ३८/१० पृ० १३७ नक्तमाल के पर्यायवाची नाम करंजो नक्तमालः स्यान्, नक्ताह्वो गुच्छपुष्पकः । घृतपूरः स्निग्धपत्रः, प्रकीर्या पुष्पमअरी।।६६४।। उदकीर्या पूतिकर्णः, प्रकीर्णो मातृनन्दनः।। पतिकरअ: प्रतीक: कैडर्यश्चिरबिल्वकः ।।६६५ || करञ्ज, नक्तमाल, नक्ताह्व, गुच्छपुष्प,घृतपूर, स्निग्धपत्र, प्रकीर्या, पुष्पमअरी, उदकीर्या, पूतिकर्ण प्रकीर्ण, मातृनन्दन, पूतिकरञ्ज, पूतीक, कैडर्य और चिरबिल्व और ये पर्याय करंज के हैं। (कैयदेव नि० ओषधिवर्ग० पृलोक ६६४, ६६५ पृ० १७८.) नरसल. णल णल (नल) देवनल, नरसल प० १/४१/१ नल के पर्यायवाची नाम नालो नडो नलश्चैव, कुक्षिरन्ध्रोथ कीचकः । वंशान्तरश्च धमनः, शून्यमध्यो विभीषणः ।।१०१।। छिद्रान्तो मृदुपत्रश्च, रन्ध्रपत्रो मृदुच्छदः उत्पत्ति स्थान-यह पश्चिमी घाट में बम्बई से त्रावनकोर तक २ से ७ हजार फीट की ऊंचाई तक, कोंकण, माथेरान, दक्षिण, महाराष्ट्र का दक्षिण प्रदेश, नीलगिरी, मलावार तथा मैसूर में पाया जाता है। विवरण-इसका क्षुप ५ से १२ फीट ऊंचा, द्विवर्षायु या बहुवर्षायु होता है। काण्ड ऊपर की तरफ पोला तथा ऊपर की ओर इससे शाखाएं निकली रहती हैं। पत्ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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