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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश 113 नामों के साथ है। छिण्णरुहा का अर्थ गिलोय होता है। (गिलोयपद्म), कंद या पिंडगुडुची है। इसके कांड पर गिलोय की एक जाति गिलोयपद्म होती है, जिसका कंद छोटे-छोटे गोल तीक्ष्णाग्रयुक्त (अर्बुदाकार) उत्सेध या होता है। इसलिए यहां छिण्णरुहा का अर्थ गिलोयपद्म कंद होते हैं। ग्रहण कर रहे हैं। पत्रत्रिखण्डयुक्त एवं बड़े,७ से २३ सेन्टीमीटर तक छिन्नरुहा के पर्यायवाची नाम लंबे होते हैं। गुणधर्म में लता गुडुची तथा यह कंद गुडूची ___ गूडूची, मधुपर्णी, छिन्नरुहा, अमृता, ये गुडूची के प्रायः दोनों समान हैं। पर्याय हैं। (धन्व. वनौषधि विशेषांक भाग २ पृ० ३६३) अन्य भाषाओं में नामहि०-गिलोय, गुरुच, गुडुच । बं०-गुलंच, पालो। छिरिया म०-गुलवेल, गरुडबेल । अंo-Tinospora (टिनोस्पोरा)। छिरिया (क्षीरिका) भूखजूर, पिंडखजूर, खिरनी Heart leaved (हार्ट लीब्ड) | Moon Seed (मून सीड)। ले०-Tinospara Cordifolia Miers (टिनोस्पोरा भ०७/६६ कार्डिफोलिया मायस) Fam. (Menispermaceae) विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में छिरिया शब्द कंद नामों (मेनिस्पर्मेसि)। के साथ है। इसलिए यहां भूखर्जूर अर्थ ग्रहण कर रहे हैं जिसके कांड भूमि के ऊपर नहीं आते। क्षीरिका (स्त्री०) क्षीरवृक्ष । खिरनी-हिन्दी। क्षीर खजूर बंगभाषा। पिण्डखजूर केचित् भाषा। (शालिग्रामौषधशब्दसागर पृ० २१६) क्षीरिका के पर्यायवाची नाम राजादनः फलाध्यक्षो, राजन्या क्षीरिकापि च।। राजादन, फलाध्यक्ष, राजन्या तथा क्षीरिका ये सब खिरनी के संस्कृत नाम हैं। (भाव० नि० पृ० ५७६) अन्य भाषाओं में नाम हिo-खिरनी, खिन्नी। बं०-खीरखेजूर। म०खिरणी, रांजण | गल-रायण, काकडिआ। क०-खिरणी मारा । ताo-पल्ल, पलै । तेल-पालमानु।ले०-Mimusops hexandra Rorbe (माइमुसोप्स हेक्सॅड्रा)।। पुष्प खजूर-इसी का एक भेद पिंड खजूर है। इसके पत्ते अति तीक्ष्ण होते हैं तथा फल बड़ा और अति मांसल होता है। यही जब वृक्ष पर ही पक कर सूख जाता है तब यह गोस्तन (गो के स्तन जैसा) खजूर या छुहारा कहाता है। किन्तु गोस्तन खजूर के वृक्ष पिण्डखजूर के वृक्ष से कुछ बड़े होते हैं। इस प्रकार ये तीनों (खजूर, उत्पत्ति स्थान-यह बंगाल, देहरादून, आसाम, पिण्ड खजर और गोस्तना खजर) आयर्वेद के खजर उड़ीसा, कोकण, मद्रास आदि के घने जंगलों में त्रितय हैं। कहीं-कहीं प्राप्त होती है। पिण्ड खजूर का ही एक भेद सुलेमानी खजूर है। विवरण-इसकी (गिलोय की) एक जाति पद्मगुडुची एक खजूर वह भी होता है जिसके वृक्ष की ऊंचाई ४ फुट शाख Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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