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________________ जैन आगम वनस्पति कोश ( धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ५ पृ० ३३४ ) .... चंपग चंपग (चम्पक) चंपा देखें चंपकगुम्म शब्द । चंपगलया चंपगलया (चम्पकलता) चंपकलता देखें चंपयलता शब्द चंपय चंपय (चम्पक) चंपा देखें चंपक गुम्म शब्द । .... ओ० ११ जीवा० ३ / ५८४ प० १/३८/३ रा० २८ जीवा० ३/२८६ चंपयलता चंपयलता (चम्पकलता) चंपाबहा Jain Education International जं० २/११ प० १/३६/१ विमर्श - वनौषधि चंद्रोदय के अनुसार चंपे के वृक्ष बहुत बड़े और सुंदर होते हैं। भाव प्रकाशनिघंटुकार के अनुसार - इसका वृक्ष छोटा करीब २० फुट ऊंचा होता । प्रस्तुत प्रकरण में यह लता शब्द के साथ है इसलिए यह कोई चंपा जाति का गुल्म या पौधा होना चाहिए । चंपाबहा पौधा है इसलिए चम्पकलता के अर्थ में चंपाबहा लता का अर्थ ग्रहण किया जा रहा है। अन्य भाषाओं में नाम संथाल - चम्पाबहा । ले०-Ochna Pumila (ओछना पोमिला) उत्पत्ति स्थान - यह वनस्पति हिमालय की तलहटी में कुमाऊं से सिक्कम तक तथा बिहार और छोटानागपुर में पैदा होती है। विवरण - यह एक प्रकार का झाडीनुमा पौधा है। इसके फल लंबे और हरे होते हैं। ( वनौषधि चंद्रोदय चौथा भाग पृ० ४) चंपयलता चंपयलता (चम्पक लता) भूचंपक जं २/११ प० १/३६/१ विमर्श - वनौषधि चंद्रोदय (भाग ४ पृ० १) के अनुसार - "चंपे के वृक्ष बहुत बड़े और सुंदर होते हैं।" प्रस्तुत प्रकरण में चंपक शब्द लता के साथ है इसलिए भूचम्पक अर्थ उपयुक्त लगता है क्योंकि इसका क्षुप होता है । अन्य भाषाओं में नाम सं०-भूचंपक, भूमिचंपा । हि० - भुइचंपा | बं०- भुइचंपा। गु० - भुइचांपा । म० - भुइचंपा । काठिया वाड-भूचंपक | कोकण-भूचंपो । ते० - कोंडा कारवा । ले० - Kaempferia Rotunda (केंफेरिया रोटुंडा ) । उत्पत्तिस्थान - यह एक सुगंधित फूलों का क्षुप होता है। बाग-बगीचों में कई स्थानों पर यह लगाया जाता है । इसके पत्ते बडे, हरे और कुछ बैंगनी रंग के होते हैं। विवरण- इसकी जड़ के बीच में गोल-गोल गठानें होती हैं। उन गठानों में से बहुत सी मांसल और मोटी जड़ें फूटकर उनके समान कंद बन जाते हैं। इसका स्वाद कडवा होता है । औषधि प्रयोग में इसका कंद काम आता ( वनौषधि चंद्रोदय सातवां भाग पृ० १२० ) | 107 .... चंपा चंपा (चम्पक) चंपा रा० ३० जीवा० ३/२८३ विमर्श - प्रस्तुत प्रकरण में चंपा शब्द है। यह हिन्दी व बंगला भाषा का शब्द है । संस्कृत में इसका एक नाम चंपक है। देखें चंपकगुम्म शब्द । .... चंपाकुसुम चंपाकुसुम (चम्पक कुसुम) चंपा के फूल For Private & Personal Use Only रा० २८ जीवा० ३ / २८१ विमर्श - प्रस्तुत प्रकरण में चंपा कुसुमशब्दपीले रंग की उपमा के लिए प्रयुक्त हुआ है। www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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