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________________ 100 जैन आगम : वनस्पति कोश 24- कोपली DUKTE ___ अश्वखुरा, श्वेतपुष्पी, महाश्वेता; गवादनी, विषघ्नी २ इंच बड़े एवं पत्रकोणीय पुष्पदंड में एकाकी रहते हैं। कोविदा, श्वेतकटभी, नीलस्यंदा, नीलपुष्पी, श्वेतस्यंदा, ध्वजदल चम्मच के आकार का और पक्षदलों के नीचे अपराजिता, वल्ली, विभाण्डा, वशिका, व्यक्तगंधा और फैला रहता है। कोणपुष्पक बड़े स्थायी तथा पर्णसदृश पापिनी ये पर्याय गिरिकर्णिका के हैं। होते हैं। फली २ से ४ इंच लंबी, चिपटी, नुकली तथा (कैयदेव नि० ओषधिवर्ग पृ० १६६) सीधी या बहुत थोड़ी मुड़ी हुई होती है। बीज ६ से १० अन्य भाषाओं में नाम अंडाकार, चिपटे, चिकने तथा गहरे भूरे रंग के होते हैं। हि०-अपराजिता, कोयल कालीज़र । (भाव०नि० गुडूच्यादि वर्ग० पृ० ३४३) बं०-अपराजिता। म०-गोकर्णी, काजली, गोकर्ण । पं0-धनन्तर। गु०-गरणी। कo-शंखपुष्प, गुंजावली गिरिकर्णिके। ता०-काक्कणनकोटी। ते०-दिटेन। गुंजावली (गुञ्जावल्ली) श्वेत गुंजा । प० १/४०/४ मल०-शंखपुष्पम् । अ०-Winged leavedclitoria (विंगड लिब्ड विमर्श-प्रस्तुत शब्द गुंजावली यह गुञ्जावल्ली क्लिोटोरिया) ले०-Clitoria ternatia Linn का ही रूप लगता है। प्रस्तुत प्रकरण में यह शब्द वल्ली (क्लिटोरिआ टर्नेटिआ लिन)। वर्ग के अन्तर्गत है। गुंजा (घुघची) की बेल होती है इसलिए गुंजावल्ली शब्द उपयुक्त लगता है। श्वेतगुञ्जा के पर्यायवाची नाम श्वेता गुजोच्चटा प्रोक्ता, कृष्णला चापि सा स्मृता। श्वेतगुजा, उच्चटा (श्वेतोच्चटा), कृष्णला ये सब संस्कृत नाम सफेद धुंघची के हैं। (भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ० ३५४) अन्य भाषाओं में नाम हिo-गुंजा, चूंघची, घुघुची, चिरमी, चिरमिटी, घुमची, करजनी, चौंटली। बं०-कुञ्च। म०-गुञ्ज । गु०-चणोठी। क०-गुलगुंति, गुरुगुजी। मल०-कुन्नि । ता०-कुन्थमणि, कुरि। पं०-चर्मटी। ते०-गुरुगिंज । फा०-चस्मे, खरूस, सुर्ख। अंo-gequirity (जेक्विरिटी) ले०-Abrus precatorius Linn (एब्रस, उत्पत्ति स्थान-यह सब प्रान्तों में पाई जाती है। प्रिकेटोरिअस् लिन०) Fam. Leguminosae अधिकतर यह बगीचों में लगाई हई मिलती है। बस्तियों (लग्युमिनासा)। के आसपास, वन्य अवस्था में भी कभी-कभी दिखाई देती उत्पत्ति स्थान-गुंजा प्रायः सब प्रान्तों के जंगल है। पुष्पभेद से यह नील एवं श्वेत दो प्रकार की होती है। झाड़ियों में उत्पन्न होती है तथा हिमालय में ३००० फीट _ विवरण-इसकी लता बहुवर्षाय, संदर तथा पतले की ऊंचाई तक पाई जाती है। कांड की होती है। यह वृक्षों या झाडियों पर लिपटती विवरण-घुघची की बेल जंगल में अधिकता से हुई (चक्रारोही) बढ़ती है। पत्ते संयुक्त असमपक्षवत रहते होती है। पत्ते इमली के समान होते हैं और खाने में मीठे हैं। पत्रक प्रायः ५, कभी-कभी ७ अंडाकार एवं १ से २ लगते हैं। फूल सेम के समान होते हैं और फली भी सेम इंच लंबे होते हैं। पुष्प जलसीप के आकार वाले नलीयक्त सदृश गुच्छेवाली होती है। उन फलियों में घुघची गोल, चमकीले नीले अथवा कभी-कभी श्वेतपुष्प १५ से (चौंटली) होती है। सफेद रंग की चोंटली सम्पूर्ण सफेद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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