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________________ ५३६ लेश्या-कोश लिए अत्यन्त ही उपयोगी और पथ-प्रदर्शक है। इस पुरुषार्थ पराक्रम के लिए सम्पादक और प्रकाशक के प्रति शोघजगत् ऋणी रहेगा। जिनवाणी १९८१ प्रस्तुत ग्रन्थ के नाम से ही स्पष्ट होता है कि इसमें भगवान महावीर के जीवन चरित्र से सम्बन्धित विभिन्न तथ्यों का संकलन किया गया है। भगवान् महावीर का जीवन चरित्र विभिन्न लेखकों द्वारा विभिन्न भाषाओं एवं विभिन्न विधाओं में प्राप्त होता है। किन्तु कोश की विधा में उनके जीवन चरित्र को स्पष्ट करने वाला यह सर्व प्रथम प्रकाशित ग्रन्थ है। कोश का निर्माण कितना श्रम साध्य होता है, यह वही व्यक्ति जान सकता है जो इस प्रकार के कार्य से सम्पृक्त रहा हो। इसे वही व्यक्ति कर सकता है जो दृढ़ अध्यावसाय और निष्ठा का धनी हो। स्व. मोहनलाल बांठिया की कार्य के प्रति निष्ठा उल्लेखनीय और असंदिग्ध थी। श्री श्रीचन्द चोरडिया में भी उसी प्रकार की श्रमनिष्ठा और कार्यशीलता परिलक्षित होती है। यही कारण है कि बांठियाजी के निधन के बावजूद भी कोश-निर्माण का कार्य अपनी गति से चल रहा है । भगवान महावीर के जीवन से सम्बन्धित विकीर्ण तथ्यों को प्रस्तुत ग्रन्थ में एकत्रित किया गया है। महावीर के जीवन का विशिष्ट अध्ययन एवं शोध करने वाले विद्यार्थियों और विद्वानों का इससे बड़ा उपकार हुआ है। एक ही स्थान पर समग्न सामग्री उपलब्ध होने से अध्येताओं को बहुत बड़ी सुविधा मिली है। इसमें दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों प्रकार की मान्यताओं का दिग्दर्शण प्राप्त होता है। कुछ तथ्य तो ऐसे हैं जो इससे पूर्व ध्यान में नहीं आए थे । दिगम्बर मान्यता के अनुसार महावीर अविवाहित थे। श्वेताम्बर मान्यता के अनुसार वे विवाहित थे। उनकी एक पत्नी थी जिसका नाम यशोदा था किन्तु शीलांकाचार्य के चउप्पन महापुरुष चरियं का सन्दर्भ उद्धृत करते हुए उनके अनेक पत्नियों का उत्लेख किया गया है जो एक अबहुश्रुत तथ्य है। इस सम्बन्ध में अनुसंधान की अपेक्षा है। . परिश्रम के अनुरूप सम्पादन भी परिष्कृत होता तो ग्रन्थ की गरिमा और अधिक बढ़ जाती। अनुवाद की भाषा में प्रांजलता का अभाव है। तथ्यों को कालानुक्रम से प्रस्तुत किया जाता तो गवेषणा की दृष्टि से सुगमता होती। मुद्रण की भूलें भी अखरने जैसी है। आगामी संस्करण में इन पर ध्यान दिया जाए तो उत्तम होगा। -मुनि गुलाब चन्द्र “निर्मोही" तित्थयर, सितम्बर, १९८३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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