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________________ लेश्या-कोश ५३५ जिसका साहित्य नष्ट हो गया, मानना चाहिए कि आज नहीं तो कल, वह परम्परा भी समाप्त हो ही जायेगी । स्व० प्राचीन काल से ही साहित्य को सुरक्षित रखने में ऋषि-मुनियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं । पहले सभी ग्रन्थ कण्ठस्थ किए जाते थे और वही परम्परा से गुरु से शिष्य को ग्रहण होते जाते थे; क्योंकि उस समय लिखने व छापने के साधन नहीं थे । और वर्तमान में वह विद्वानों द्वारा लिखने व छापने के माध्यम से जन-जन को सुलभ होते जा रहे हैं । विद्वानों को शृङ्खला में मोहनलालजी बांठिया तथा श्री श्रीचन्दजी चोरड़िया का भी महत्वपूर्ण योगदान है । उन्होंने 'वर्धमान जीवन कोश' का संकलन कर चौबीसवें तीर्थकर भगवान् महावीर का जीवन-वृत्त सर्वसाधारण के लिये पठनीय बना दिया है । आगमों की भाषा दुरूह है, सर्वसाधारण उसे समझ नहीं सकता । इसलिए भगवान महावीर के जन्म, दीक्षा, साधना - काल से सम्बन्धित जीव प्रसंग उन्होंने अनेक सूत्रों से एकत्रित किए हैं और उनका सरल हिन्दी में अनुवाद प्रस्तुत किया है, जिससे वह सर्वसाधारण के लिये उपयोग का ग्रन्थ बन गया है । यदि ग्रन्थ के अन्त में शब्द सूची और दी गई होती तो ग्रन्थ अध्येताओं के लिए और उपयोगी होता । -सार संसार जैन आगमों में तत्व ज्ञान और महापुरुषों के जीवन-चरित्र, क्रम और विषन के अनुरूप ग्रन्थित और संकलित न होने के कारण अध्येताओं और शोधाथियों को बड़ी कठिनाई का अनुभव करना पड़ता है, साथ ही तत्त्व को समझने में बाधा आती है । इस कमी को दूर करने के लिए सम्पादक द्वय ने जैन विषय कोश तैयार करने का बृहत् ऐतिहासिक कार्य हाथ में लिया, जिसके अन्तर्गत 'लेश्या कोश' और 'क्रिया कोश' पहले प्रकाशित हो चुके हैं । समीक्ष्य ग्रन्थ इस योजना का तीसरा महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है । इस ग्रन्थ में वर्धमान महावीर के जीवन आधार की समस्त संदर्भ सामग्री संकलित कर दी गई है । यह सामग्री दशमलव प्रणाली से महावीर के नाम-विवेचन, च्यवन से जन्म, गृहवास काल, साधना काल, केवली काल, परिनिर्वाण, वर्धमान सम्बन्धी फुटकर पाठ और विविध, इस क्रम से संयोजित की गई है । श्वेताम्बर, दिगम्बर शास्त्रीय ग्रन्थों, निरुक्ति, भाष्य, चूर्णि, टीका आदि व्याख्या साहित्य तथा चरित पुराण ग्रन्थों से मूल सन्दर्भ देकर उनका आवश्यक हिन्दी अनुवाद दिया गया । वर्धमान महावीर के जीवन की आधारभूत सामग्री का यह प्रामाणिक सन्दर्भ ग्रन्थ शोधार्थियों के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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