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________________ लेश्या-कोश ५२९ 'वर्धमान जीवन-कोश' का आपाततः पठन किया। ग्रन्थ पूर्णतः महत्त्वपूर्ण और उपयोगी लगा। भगवान महावीर स्वामी के जीवन-वृत्त पर यह कोश सार्वभौम/सर्वाङ्गीण प्रकाश डालता है। प्रामाणिकता की दृष्टि से यह संकलन अपने आप में अद्वितीय है। विद्वान सम्पादकों ने श्रम एवं निष्ठापूर्वक ग्रन्थनिर्माण किया है। हमें ऐसे विद्वानों की एवं ग्रन्थों की आवश्यकता है। स्वागत है कोश का, अभिनन्दन है सम्पादकद्वय का । शिवस्ते पन्थाः । -मुनि चन्द्रप्रभ सागर २० सितम्बर १९८५ समीक्ष ग्रन्थ एक अभिनव प्रयोग है। लगभग १०० ग्रन्थों के आधार से यह ग्रन्य संपादित है। इसमें भगवान महावीर के जीवन का सर्वाङ्गीण विवेचन है। -मुनि श्री राकेश कुमार पत्र पत्रिकाओं में समीक्षा प्रस्तुत ग्रन्थ जैन दर्शन समिति की कोश परम्परा की कड़ी में एक महत्त्वपूर्ण संदर्भ ग्रन्थ है। वर्धमान जीवनकोश का यह प्रथम भाग स्वर्गीय मोहनलालजी बांठिया द्वारा संकलित एवं तैयार सामग्नी का व्यवस्थित सम्पादित रूप है। बांठियाजी इस काम को अधूरा छोड़कर स्वर्गवासी हो गये किन्तु श्री चीचन्दजी चोरड़िया ने अत्यन्त परिश्रम कर इसे तैयार किया है। श्वेताम्बर आगमों, नियुक्ति चूर्णी एवं टीका ग्रन्थों के साथ-साथ दिगम्बर आचार्यों द्वारा रचित ग्रन्थों में से भी भगवान महावीर से सम्बन्धित सामग्री का संकलन किया गया है। शोध छात्रों और विद्वानों के लिये यह ग्रन्थ अत्यन्त महत्वपूर्ण है और भगवान श्री महावीर के सम्बन्ध में लिखने वालों को इस कोश से बहुत सहयोग प्राप्त हो सकता है। सम्पादक एवं प्रकाशक को इस महत्वपूर्ण कोश ग्रन्थ के लिये बधाई। -जैन जगत बम्बई अगस्त १९८१ लेश्याकोश और क्रियाकोश के उपरान्त उसी शृखला में विद्वान सम्पादकद्वय ने प्रस्तुत 'वर्धमान जीवनकोश' के निर्माण में हाथ लगाया , दैवयोग से श्री बांठियाजी बीच में ही दिवंगत हो गये, तथापि उनके सहयोगी श्रीचन्दजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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