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________________ ५२८ लेश्या-कोश नित समृद्ध किया होगा और किस तरह उन्हें अन्तिम प्रविष्टियों के लिये तैयार किया होगा ? इसे मैं भलीभांति महसूस कर रहा हूँ। कोश उपयोगी है और भगवान महावीर के सम्बन्ध में बहुविध जानकारी दे रहा है। कई जानकारियां तो ऐसी है जिन्हें मैं पहली बार पा रहा हूँ। इसे देखते-देखते अभिधान राजेन्द्र की कल्पना सामने आ गयी है। जब श्रीमद् राजेन्द्र सूरीश्वर और उनके परिकर ने उस काम को हाथ में लिया होगा। आपका काम वैज्ञानिक युक्तियुक्त और पूर्णता की ओर झुका हुआ है। इस मृत्युञ्जय कर्तृत्व के लिए मेरी पुनः बधाई स्वीकार करें। निश्चय ही आपके श्रम के आगे नतमस्तक हो जाऊँगा। -डा० नेमीचन्द जैन वर्धमान जीवन-कोश' की प्रति प्राप्त हुई। सम्पादक द्वय का गहन अध्ययन और अथक श्रम इस ग्रन्थ में प्रतिबिम्बित हुआ है। शोधाथियों के लिये यह ग्रन्थ अत्यन्त उपयोगी है। इस संग्रहणीय कृति के लिये मेरा साधुवाद स्वीकार करें। -कन्हैयालाल सेठिया ११ जुलाई १९८१ श्री वर्धमान जीवन कोश, प्रथम खण्ड देखने को मिला। यह पुस्तक सर्व प्रथम पुस्तक है जिसमें भगवान महावीर की जीवनी यथार्थ रूप से लिखने में आयी है। जीवन की प्रत्येक घटना जब पढ़ते हैं तो मालूम होता है कि प्रभु हमारे सामने ही है। और हम उनकी जीवनचर्या को देख रहे है। यह एक महान साहित्य है जिसे हर व्यक्ति अपने यहाँ रखकर प्रभु के जीवन का सम्यग प्रकार से चिन्तन कर सकते हैं। लेखक ने अपनी बुद्धि-श्रम-समय और शक्ति का पूर्ण सद्प्रयोग कर जैन समाज को एक बहुत बड़ा साहित्य प्रदान किया। इस प्रकार का साहित्य समाज में नयी रोशनी नये विचारों की मोड़ और जीवन में क्रांति लाने वाला साहित्य है। प्रत्येक व्यक्ति इसे लाभान्वित हो यही शुभ कामना है। -मुनि लाभचन्द्र श्रमण संघीय कमाणी जन भवन, भवानीपुर ४ नवम्बर १९८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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