SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 663
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लेश्या-कोश ५०१ आ पुस्तक ना सम्पादकोओ पण अध्ययन मां आ मुश्केली अनुभवी अने तेने परिणामे तेओ आ खामी दूर करवा प्रयत्नशील बन्या तेमांथी लेश्या कोश' तैयार थवा पामेल छ, आ पुस्तक नु सम्पादन करवामां आशरे ५० पुस्तकों नो आधार लेवामां आव्यो छे । 'लेश्या' सम्बन्धी जे जे पुस्तकोमा माहिती प्राप्त थई ते वधी अकत्रित करीने, क्रमबद्ध गोठवी ने संकलित करवामां आवी छे जैन दर्शन ना अभ्यासीओ ने आ पुस्तक अति उपयोगी बनी रहेशे । आ मुजब अन्य विषयो ने पण संकलित करी, क्रमबद्ध गोठववा मां आवे ते आवकारदायक थई पड़शे। १४ 'जैन शासन", हिम्मतनगर-दिनांक १ फरवरी ६६ के अंक में (गुजराती) __ जैन दर्शन ग्रन्थों मां 'लेश्या' शब्द विशिष्ट अर्थ मां वपरायो छ । अ शब्दो ना अर्थो-भेद-प्रभेद न वर्णन घणीज सूक्ष्मता थी अत्रे करवामां आव्यु छ । आवा विशिष्ट शब्दों ने लेई इतर कोष' कढाय ते अति जरूरी छ । श्री नथमल टांटिया नी अंग्न जी प्रस्तावना अने श्री हीराकुमारी बोथरा ना आमुख थी ग्रन्थ ने समजवामां सरलता वधी छे । लेखको तथा प्रकाशको ने धन्यवाद । १५ "प्रकाश समीक्षा", बम्बई-मार्च ६६ के अंक में ( गुजराती) ___ जैन दर्शन ने साचा स्वरूपे सरल रीते रजु करता, महाग्रन्थों नो अभाव आपण ने भारी खटकी रहयो छे, ने तेथी जैन धर्म ने समजयामां, जन-अर्जत सौने सरखी मुश्केली नडी रही छे, ज्यां सुधी आ महान तत्वज्ञान ने सुश्लिष्ट रीते आपणे जगत समक्ष रजु न करी शकीओ त्यां सुधी, आवा महान धर्म नो लाभ मानव जाति लई शके तेम नथी। आ संजोगोमां, जैन धर्म दर्शन न विषयवार वर्गीकरण तेना संदर्भग्नन्थों बहार पाडवानी श्री बांठिया करेली योजना मात्र दूरलक्षीज नथी, दूरगामी पण छ। जे कार्य अक संस्था ने पण पोताना विस्तृत सहाय साधनो तथा समूह थी पुरं करवु दुष्कर लागे, ते श्री बांठियाओ पोते वेपारी व्यवसायी होवा छतां तथा प्रतिकूल आरोग्य होवा छता, करी बताव्यु छे तथा करवानी महेच्छा सेवी छे, ते मात्र तेमना जैन धर्म दर्शन उपर अक्षुण्ण प्रेम सिवाय शकय नथी । आवा महाकार्य मां जैन विद्वानों नो तथा संस्थाओ नो दरेक रीते आप मेले साथ मली रहेवो जोइये, अम अमे मानी छीओ। जैन-धर्म-दर्शन ना साचा स्वरूप ने समजवामां, जैन धर्म-दर्शन सम्बन्धी प्रमाण भूत पुस्तको नी रचना मां अने जैन धर्म-दर्शन ना प्रचार मां आ ग्रन्थ ला निशंक अमुल्य फालो आपशे । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy