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________________ ३८४ लेश्या-कोश '६१.६ अपकायिक जीवों मेंएवं आउकाइयाणि वि। -पण्ण० प १७ । उ २ । सू १५ । पृ० ४३६ पृथ्वीकायिक जीवों की तरह अप्कायिक जीवों में भी अल्पबहुत्व जानना चाहिए। '६१.७ अग्निकायिक जीवों में एएसि णं भंते ! तेउकाइयाणं कण्हलेस्साणं नीललेन्साणं काऊलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ४ ? गोयमा! सव्वत्थोवा तेउकाइया काऊलेस्सा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया। –पण्ण० प १७ । उ २ । सू १५ । पृ० ४३६ सबसे कम कापोतलेशी अग्निकायिक जीव, उनसे नीललेशी अग्निकायिक विशेषाधिक, उनसे कृष्णलेशी अग्निकायिक विशेषाधिक हैं। ६१८ वायुकायिक जीवों मेंएवं वायुकाइयाण वि। -पण्ण० प १७ । उ २ । सू १५ । पृ० ४३६ अग्निकायिक जीवों की तरह वायुकायिक जीवों में भी अल्पबहुत्व जानना चाहिए। ( देखो पाठ ६१.७ ) '६१.६ वनस्पतिकायिक जीवों में एएसि णं भंते ! वणस्सइकाइयाणं कण्हलेस्साणं जाव तेऊलेस्साण य जहा एगिदियओहियाणं । -पण्ण० प १७ । उ २ । सू १५ । पृ० ४३६ सलेशी वनस्पतिकायिक जीवों में अल्पबहुत्व औधिक सलेशी एकेन्द्रिय जीवों की तरह जानना चाहिए। '६१.१० द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय तथा चतुरिन्द्रिय जीवों मेंबेईदियाणं तेइ दियाणं चउरिंदियाणं जहा तेउकाइयाणं । -पण्ण० प १७ । उ २ । सू १५ । पृ० ४३६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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