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________________ २४६ लेश्या-कोश - तेजोलेशी जीव का तेजोलेशीत्व की अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त का तथा उत्कृष्ट अन्तरकाल वनस्पति काल का अर्थात् अनंतकाल का होता है । '६५.५ पद्मलेशी जीव काएवं पम्हलेसस्स वि सुकलेसस्स वि दोण्ह वि एवमंतरं । -जीवा० प्रति ६ । सू २६६ । पृ० २५८ पद्मलेशी जीव का पद्मलेशीत्व की अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल अन्तमुहूर्त का तथा उत्कृष्ट अन्तरकाल वनस्पति काल का होता है। '६५.६. शुक्ललेशी जीव का देखो पाठ-६५.५ शुक्ललेशी जीव का शुक्ललेशीत्व की अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल अन्तमुहूर्त का तथा उत्कृष्ट अन्तरकाल वनस्पतिकाल का होता है । '६५'७ अलेशी जीव का अलेसस्स णं भंते ! अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! साइयस्स अपज्जवसियस्स णस्थि अंतरं । -जीवा० प्रति ६ । सू २६६ । पृ० २५८ 1. सावि-अपर्ययसित स्थिति होने के कारण अलेशी जीव का अन्तरकाल नहीं होता है। ६६ सलेशी जीव काल की अपेक्षा सप्रदेशी-अप्रदेशी ( कालादेसेणं किं सपएसा, अपएसा ? ) सलेस्सा जहा ओहिया, कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काऊलेस्सा जहा आहारओ, नवरं जस्स अस्थि एयाओ, तेऊलेस्साए जीवाइओ तियभंगो, नवरं पुढविक्काइएसु, आउवनस्सईसु छब्भंगा, पम्हलेस्स-सुक्कलेस्साए जीवाइओ तियभंगो। अलेसेहिं जीव-सिद्ध हिं तियभंगो, मणुस्सेसु छन्भंगा। -भग० श ६ । उ ४ । सू ५ । पृ० ४६६-६७ यहाँ काल की अपेक्षा से जीव सप्रदेशी है या अप्रदेशी-ऐसी पृच्छा है। काल की अपेक्षा से सप्रदेशी व अप्रदेशी का अर्थ टीकाकार ने एक समय की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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