SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 343
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८१ लेश्या-कोश गनक-२ पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्य च योनि से जघन्य स्थितिवाले रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (पज्जत्ता असन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए जहन्नकालहिईएसु रयणप्पभापुढविनेरइसु उववज्जित्तए x x x ते णं भंते ! xxx एवं सच्चेव वत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा ) उनमें कृष्ण, नील तथा कापोत तीन लेश्या होती है। -भग० श २४ । उ १ । सू २८, २६ । पृ० ८१६ गमक-३ पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्य च योनि से उत्कृष्टस्थितिवाले रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( पज्जत्ताअसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए उक्कोसकालटिईएसु रयणप्पभापुढ विनेरइएसु उववजित्तए x x x ते णं भंते ! जीवा० अवसेसं तं चेव, जाव-अनुबंधो) उन में कृष्ण, नील तथा कापोत तीन लेश्या होती है। --भग० श २४ । उ १ । सू ३१, ३२ । पृ० ८१६ गमक–४ जघन्यस्थितिवाले पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि से रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (जहन्नकालट्टिईयपज्जत्ताअसन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए x x x ते णं भंते ! सेसं तं चेव ) उनमें कृष्ण, नील तथा कापोत तीन लेश्या होती है। -भग० श २४ । उ १ । सू ३४, ३५ । पृ० ८१७ गमक-५ जघन्यस्थितिवाले पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्य च योनि से जघन्यस्थितिवाले रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( जहन्नकाल हिईयपज्जत्त-असन्नि-पंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए जहन्नकालट्ठिईएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए xxx ते णं भंते ! जीवा० सेसं तं चेव ) उनमें कृष्ण, नील तथा कापोत तीन लेश्या होती है। --भग० श २४ । उ १ । सू ३७, ३८ । पृ० ८१७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy