SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 306
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लेश्या-कोश शालि, व्रीही, गोधूम, यावत् जवजव आदि के मूल के जीवों में तीन लेश्या और छव्वीस विकल्प होते हैं । १४४ (ख) इनके कंद में तीन लेश्या, २६ विकल्प होते हैं । (ग) इनके स्कन्ध में तीन लेश्या, २६ विकल्प होते हैं । (घ) इनकी त्वचा में तीन लेश्या, २६ विकल्प होते हैं । (ङ) इनकी शाखा में तीन लेश्या, २६ विकल्प होते हैं । (च) इनके प्रवाल में तीन लेश्या, २६ विकल्प होते हैं । (छ) इनके पत्र में तीन लेश्या, २६ विकल्प होते हैं । (ज) इनके पुष्प में एवं पुफ्फे वि उद्देसओ, नवरं देवा उववज्जंति जहा उप्पलुहे से चत्तारि लेस्साओ, असीइ भंगा । चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं क्योंकि इनमें देवता उत्पन्न होते हैं । (झ) इनके फल में जहा पुफ्फे एवं फले वि उसओ अपरिसेसो भाणियव्वो । फल में भी पुष्प की तरह चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं । (ट) इनके बीज में एवं बीए वि उद्देसओ । बीज में भी पुष्प की तरह चार लेश्या तथा अस्सी विकल्प होते हैं । - भग० श २१ । व १ । उ२ से १० । सू १०, १२, १३ | पृ० ८३६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy