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________________ लेश्या - कोश छओं भावलेश्या अवर्णी, अरसी, अगंधी, अस्पर्शी है । १२२ '४३ भावलेश्या और अगुरुलघुत्व प्र० - कण्हलेस्सा णं भंते! किं गरुया, जाव अगरुयलहुया ? उ०- गोयमा ! नो गरुया, नो लहुया, गरुयालहुया वि अगुरुयलहुया वि । प्र० - सेकेण ठेणं ? - गोयमा ! दव्वलेस्सं पडुच्च ततियपएणं, भावलेस्सं पडुच्च चउत्थपणं, एवं जाव - सुक्कलेस्सा | - भग० श १ । उ । सू २८ - २६ । पृ० ४११ उ० कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या - भावलेश्या की अपेक्षा अगुरुलघु है । • ४४ लेश्या - स्थान (क) केवइया णं भंते! कण्हलेस्सा ठाणा पत्ता ? गोयमा ! असंखेजा कण्हलेस्साठाणा पन्नत्ता, एवं जाव सुक्कलेस्सा | - पण्ण० प १७ । उ ४ । सू ५० पृ० ४४६ (ख) अस्सं खिजाणोसप्पिणीण उस्सप्पिणीण जे समया वा । संखाईया लोगा, लेसाण हवन्ति ठाणा ॥ - उत्त० अ ३४ । गा ३३ । पृ० १०४७ कृष्णश्या यावत् शुक्ललेश्या के असंख्यात स्थान होते हैं । असंख्यात अवसर्पिणी तथा उत्सर्पिणी में जितने समय होते हैं तथा असंख्यात लोकाकाश के जितने प्रदेश होते हैं उतने लेश्याओं के स्थान होते हैं । (ग) लेस ठाणेसु संकिलिस्समाणेसु २ कण्हलेस्सं परिणमइ २ ता कण्हलेस्से नेरइएसु उववज्जंति xxx लेस्सट्ठाणेसु संकिलिस्स Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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