SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लेश्या-कोश •८ द्रव्यलेश्या के असंख्यात् स्थान है। केवइया णं भन्ते ! कण्हलेस्सा ठाणा पन्नत्ता ? गोयमा! असंखेज्जा कण्हलेस्सा ठाणा पन्नत्ता, एवं जाव सुक्कलेस्सा। पण्ण० प १७ । उ ४ । सू ५० ( पृ० ४४६) '६ द्रव्यलेश्या गुरूलघु है। कण्हलेस्साणं भन्ते! किं गुरूया, जाव अगुरूलहुया ? गोयमा ! णो गुरूया, णो लहुया, गुरूयलहुयावि, अगुरूलहुयावि। से केण?णं ? गोयमा! दव्वलेस्सं पडुच्च ततियपएणं, भावलेस्सं पडुच्च चउत्थपएणं, एवं जाव सुक्कलेस्सा। भग० श १ । उ ६ । प्र० २८६-६० (पृ० ४११) १० द्रव्यलेश्या जीवग्राह्य है। जल्लेसाई दवाइं परिआइत्ता कालं करेइ (जीव ) तल्लेस्सेसु उववज्जइ । भग० श ३ । उ ४ । प्र १७ पृ० ४५६ .११ द्रव्यलेश्या परस्पर परिणामी है। से नूणं भन्ते ! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प ता रूवत्ताए, ता वण्णत्ताए, ता गंधत्ताए ता रसत्ताए ता फासत्ताए भुज्जो भुज्जो परिणमइ । पण्ण० प १७ । उ ५। प्र५४ (पृ० । .१२ द्रव्यलेश्या परस्पर कदाचित् अपरिणामी भी है। से नूणं भन्ते ! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प णो ता रूवत्ताए जाव णो ता फासत्ताए भुज्जो भुज्जो परिणमइ ? हंता गोयमा ! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प णो ता रूवत्ताए, णो ता वन्नत्ताए, णो ता गंधत्ताए, णो ता रसत्ताए, णो ता फासत्ताए भुज्जो भुजो परिणमइ । से केण?णं भन्ते ! एवं बुच्चइ १ गोयमा ! आगारभावमायाए वा से सिया, पलिभागभावमायाए वा से सिया। पण्ण० प १७ । उ ५ । प्र ५५ (पृ० ४५०) १३ द्रव्यलेश्या ( सूक्ष्मत्व के कारण) छद्मस्थ अगोचर-अज्ञेय है। ____ अणगारे णं भन्ते ! भावियप्पा अप्पणो कम्मलेस्सं न जाणइ पासइ तं पुण जीव सरूविं सकम्मलेस्सं जाणइ पासइ ? गोयमा ! अणगारेणं भावियप्पा अप्पणो जाव पासइ। भग० श १४ । उ ६ । प्र १ (पृ० ७०६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy