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________________ लेश्या - कोश वनस्पतिकायिक जीवों में : एएसि णं भंते! वणस्सइकाइयाणं कण्हलेस्साणं जाव तेऊलेस्साण य जहा एगिंदियओहियाणं । २३५ - पण ० प १७ | उ २ | सू १५ । पृ० ४३६ सलेशी वनस्पतिकायिक जीवों में अल्पबहुत्व औधिक सलेशी एकेन्द्रिय जीवों की तरह जानना । ८६१० द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय तथा चतुरिन्द्रिय जीवों में बेदियाणं इंदियाणं चउरिदियाणं जहा तेउकाइयाणं । - पण्ण० प १७ । २ । सू १५ | पृ० ४३६ सलेशी द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय तथा चतुरिन्द्रिय जीवों में अपने-अपने में अल्पबहुत्व अभिकायिक जीवों की तरह जानना । ( देखो ८८ ) ११ पंचेन्द्रिय तिर्य चयोनिक जीवों में : एएसि णं भंते! पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हलेस्साणं एवं जाव सुक्कलेसाण य करे करेहितो अप्पा वा ४ ? गोयमा ! जहा ओहियाणं तिरिक्खजोणियाणं, नवरं काऊलेस्सा असंखेज्जगुणा । - पण्ण० प १७ | उ २ । सू १६ | पृ० ४३६ सलेशी पंचेन्द्रिय तिर्यं चयोनिक जीवों में अल्पबहुत्व औधिक तिर्यंचयोनिक जीवों की तरह जानना (देखो ८६०३ ) लेकिन कापोतलेश्या को असंख्यात गुणा कहना । ८१२ संमूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यं चयोनिक जीवों में : संमुच्छिमपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं जहा ते काइयाणं । - पण्ण० प १७ | उ २ । सू १६ | पृ० ४३६ समूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों में अल्पबहुत्व अग्निकायिक जीवों की तरह जानना (देखो ८६७)। ८६ १३ गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचयोनिक जीवों में : गब्भवक्कतियपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं जहा ओहियाणं तिरिक्खजोणियाणं, नवरं काऊलेस्सा संखे जगुणा । Jain Education International - पण्ण० प १७ | उ २ । सू १६ | पृ० ४३६ गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यचयोनिक जीवों में अल्पबहुत्व औधिक तिर्यंचयोनिक की तरह जानना । लेकिन कापोतलेश्या में संख्यात गुणा कहना ( देखो ८६३) । लेकिन टीकाकार कहते हैं कि कापोतलेश्या में 'असंख्यात' गुणा कहना : For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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