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________________ २३४ लेश्या-कोश तेऊलेस्सा, काऊलेस्सा अणंतगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया। -पण्ण० प १७ । उ २ । सू १५ । पृ० ४३८ -भग० श १७ । उ १२ । प्र३ । पृ० ७६१ सबसे कम एकेन्द्रिय तेजोलेशी जीव हैं, उनसे कापोतलेशी एकेन्द्रिय जीव अनन्तगुणा है, उनसे नीललेशी एकेन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेशी एकेन्द्रिय जीव विशेषाधिक हैं। '८६ ५ पृथ्वीकायिक जीवों में :- एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं कण्हलेस्साणं जाव तेऊलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४ ? गोयमा ! जहा ओहिया एगिदिया, नवरं काऊलेस्सा असंखेजगुणा। -पण्ण० प १७ । उ २ । सू १५ । पृ० ४३८-६ सबसे कम तेजोलेशी पृथ्वीकायिक जीव हैं, उनसे कापोतलेशी पृथ्वीकायिक जीव असंख्यातगुणा, उनसे नीललेशी विशेषाधिक, उनसे कृष्णलेशी विशेषाधिक हैं। '८९६ अपकायिक जीवों में :__एवं आउकाइयाण वि। -पण्ण० प १७ । उ२। सू१५। पृ० ४३६ पृथ्वीकायिक जीवों की तरह अपकायिक जीवों में भी अल्पबहुत्व जानना। ८६.७ अनिकायिक जीवों में : एएसि णं भंते ! तेउकाइयाणं कण्हलेस्साणं नीललेस्साणं काऊलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४१ गोयमा ! सव्वत्थोवा तेउकाइया काऊलेस्सा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया। -पपण० प १७ । उ २ । सू १५ । पृ० ४३६ सबसे कम कापोतलेशी अग्मिकायिक जीव, उनसे नीललेशी अग्निकायिक विशेषाधिक, उनसे क्रष्णलेशी अमिकायिक विशेषाधिक हैं। ८६-८ वायुकायिक जीवों में :एवं वायुकाइयाण वि। -पण्ण० प १७ । उ २ । सू १५ । पृ० ४३६ अग्निकायिक जीवों की तरह वायुकायिक जीवों में भी अल्पबहुत्व जानना। (देखो ८६७)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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