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________________ लेश्या-कोश २२६ कण्हलेस्सअभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरक्या गं भंते ! कओ उववज्जंति ? एवं चेव चत्तारि उद्देसगा। एवं नीललेस्सअभवसिद्धिय (रासीजुम्मकडजुम्मनेरइयाणं) चत्तारि उद्दे सगा। एवं काऊलेस्सेहि वि चत्तारि उद्द सगा । तेऊलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा। पम्हलेस्सेहि वि चत्तारि उद्दसगा। सुक्कलेस्सअभवसिद्धिए वि चत्तारि उद्दसगा। एवं एएसु अट्ठावीसाए वि अभवसिद्धियउद्दसएसु मणुस्सा नेरइयगमेणं नेयव्वा। -भग० श ४१ । उ ५७ से ८४ । पृ० ६३७ अभवसिद्धिक राशियुग्म जीवों के सम्बन्ध में जैसा प्रथम उद्देशक में कहा वैसा ही कहना लेकिन मनुष्य और नारकी का एक-सा वर्णन करना। चारों युग्मों के चार उद्देशक कहने। इसी तरह कृष्णलेशी अभवसिद्धिक राशियुग्म जीवों के सम्बन्ध में चार उद्देशक कहने। इसी तरह नीललेशी अभवसिद्धिक राशियुग्म यावत् शुक्ललेशी अभवसिद्धिक राशियुग्म जीवों के सम्बन्ध में प्रत्येक के चार-चार उद्देशक कहने। लेकिन मनुष्यों के सम्बन्ध में सर्वत्र नारकी की तरह कहना । जिसके जितनी लेश्या हो उतने विवेचन करने। _सम्मदिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववज्जति० ? एवं जहा पढमो उद्दसओ। एवं चउसु वि जुम्मेसु चत्तारि उद्द सगा भवसिद्धियसरिसा कायव्वा। कण्हलेस्ससम्मदिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरड्या णं भंते! कओ उववज्जंति० ? एए वि कण्हलेस्ससरिसा चत्तारि वि उद्द सगा कायव्वा । एवं सम्मदिट्ठीसु वि भवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्द सगा कायव्वा। मिच्छादिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववज्जंति ? एवं एत्थ वि मिच्छादिढिअभिलावेणं अभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्द सगा कायव्वा। -भग० श० ४१ । उ ८५ से १४० | पृ० ६३७-३८ कृष्णलेशी सम्यग्दृष्टि राशियुग्म जीवों के सम्बन्ध में कृष्णलेशी राशियुग्म जीवों की तरह चार उद्देशक कहने। समदृष्टि राशियुग्म जीवों के भी भवसिद्धिक राशियुग्म जीवों की तरह अट्ठाईस उद्देशक कहने। मिथ्यादृष्टि राशियुग्म जीवों के सम्बन्ध में अभवसिद्धिक राशियुग्म जीवों की तरह अट्ठाईस उद्देशक कहने। कण्हपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उववज्जति० १ एवं एत्थ वि अभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा कायव्वा । सुक्कपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववज्जति ? एवं एत्थ वि भवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा भवंति । एवं एए सव्वे वि छन्नउयं उद्देसग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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