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________________ २०४ लेश्या-कोश वेणइयवाई ते सव्वट्ठाणेसु वि नो नेरइयाउयं पकरेइ, तिरिक्खजोणियाउयं विपकरेइ, मणुस्साउयं वि पकरेइ, नो देवाउयं पकरेइ। xxx एवं जाव थणियकुमारा जहेव नेरइया। ___ अकिरियावाई गं भंते ! पुढविकाइया० पुच्छा ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ, मणुस्साउयं पकरेइ, नो देवाउयं पकरेइ। एवं अन्नाणियवाई वि । सलेस्सा णं भंते! एवं जं जं पदं अत्थि पुढविकाइयाणं तहिं तहिं मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु एवं चेव दुविहं आउयं पकरेइ। नवरं तेऊलेस्साए न किं वि पकरेइ । एवं आउक्काइयाण वि, एवं वणस्सइकाइयाण वि। तेउकाइया, बाउकाइया सव्वट्ठाणेसु मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु नो नेरइयाउयं पकरेइ, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ, नो मणुस्साउयं पकरेइ, नो देवाउयं पकरेइ । बेइंदियतेइंदियचउरिदियाणं जहा पुढविकाइयाणं x x x। किरियावाई णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया कि नेरक्याउयं पकरेइ० पुच्छा ? गोयमा ! जहा मणपज्जवनाणी अकिरियावाई, अन्नाणियवाई, वेणइयवाई य चउव्विहं वि पकरेइ । जहा ओहिया तहा सलेस्सा वि। कण्हलेस्सा णं भंते! किरियावाई पंचिंदियतिरक्खजोणिया कि नेरइयाउयं० पुच्छा ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ, नो मणुस्साउयं पकरेइ, नो देवाउयं पकरेइ । अकिरियावाई. अन्नाणियवाई, वेणइयवाई चउव्विहं वि पकरेइ । जहा कण्हलेस्सा एवं नीललेस्सा वि, काऊलेस्सा वि, तेऊलेस्सा जहा सलेस्सा । नवरं अकिरियावाई, अन्नाणियवाई, वेणइयवाई य नो नेरइयाउयं पकरेइ, तिरिक्खजोणियाउयं वि पकरेइ, मणुस्साउयं वि पकरेइ, देवाउयं वि पकरेइ। एवं पम्हलेसा वि, एवं सुक्कलेस्सा वि भाणियव्वा। xxx जहा पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं वत्तव्वया भणिया एवं मणुस्साण वि (वत्तव्वया) भाणियव्वा x x x अलेस्सा केवलनाणी अवेदगा अकसाई अजोगी य एए एगं वि आउयं न पकरेइ । जहा ओहिया जीवा सेसं तं चेव । वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा । -भग० श ३० । उ १। प्र २५ से २६ । पृ० ६०७-६०८ सलेशी क्रियावादी नारकी सब केवल मनुष्यायु बाँधते हैं तथा अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी नारकी सभी स्थानों में नरकायु तथा देवायु नहीं बाँधते हैं, तिथंचायु तथा मनुष्यायु बाँधते हैं। नारकी की तरह सलेशी असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार भवनवासी देव जो क्रियावादी हैं वे केवल एक मनुष्यायु का बंधन करते हैं तथा जो अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी हैं वे तिर्यंचायु तथा मनुप्यायु का बंधन करते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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