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________________ लेश्या-कोश २०३ कण्हलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई किं नेरइयाउयं पकरेंति० पुच्छा ? गोयमा ! नो नेरक्याउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजो णयाउयं पकाति, मणुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । अकिरियावाई अन्नाणियवाई वेणइयवाई य चत्तारि वि आउयाई पकरेंति । एवं नीललेसा वि। काउलेस्सा वि । तेउलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई किं नेरइयाउयं पकरेइ ( रेंति ). पुच्छा? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेइ, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ, मणुस्साउयं पकरेइ, देवाउयं वि पकरेइ । जइ देवाउयं पकरेइ - तहेव । तेऊलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावाई कि नेरइयाउयं० पुच्छा ? गोयमानो नेरइयाउयं पकरेइ मणुस्साउयं वि पकरेइ, तिरिक्खजोणियाउयं वि पकरेइ, देवाउयं वि पकरेइ । एवं अन्नाणियावाई वि, वेणइयवाई वि। जहा तेऊलेस्सा एवं पम्हलेस्सा वि सुक्कलेस्सा वि नायव्वा । __ अलेस्सा णं भंते। जीवा किरियावाई किं नेरइयाउयं० पुच्छा ? गोयमा ! नो नेरड्याउयं पकरेइ, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ, नो मणुस्साउयं पकरेइ, नो देवाउयं पकरेइ (रेति)। -भग० श ३० । उ १। प्र १० से १७ । पृ० ६०६-१०७ सलेशी क्रियावादी जीव नरकायु तथा तिर्यंचायु नहीं बाँधते हैं। वे मनुष्यायु तथा देवायु बाँधते हैं ; देवायु में भी वे सिर्फ वैमानिक देवों की आयु बाँधते हैं। सलेशी अक्रियावादी जीव नरकायु, तिर्यंचायु, मनुष्यायु तथा देवायु चारों प्रकार की आयु बाँधते हैं। इसी प्रकार सलेशी अज्ञानवादी तथा सलेशी विनयवादी भी चारों प्रकार की आयु बाँधते हैं। कृष्णलेशी क्रियावादी जीव केवल मनुष्यायु वाँधते हैं । कृष्णलेशी अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी चारों प्रकार की आयु बाँधते हैं । नीललेशी तथा कापोतलेशी क्रियावादी जीव केवल मनुष्यायु बाँधते हैं । नीललेशी तथा कापोतलेशी अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी जीव चारों प्रकार की आयु बाँधते हैं। तेजोलेशी क्रियावादी जीव केवल मनुष्यायु तथा देवायु बाँधते हैं। देवायु में भी वे केवल वैमानिक देवायु बाँधते हैं। तेजोलेशी अक्रियावादी जीव नरकायु नहीं बाँधते, तिर्यंचायु, मनुष्यायु तथा देवायु बाँधते हैं । तेजोलेशी अज्ञानवादी तथा विनयवादी भी नरकायु नहीं बाँधते, तियं चायु, मनुष्यायु तथा देवायु वाँधते हैं। तेजोलेशी चार मतवादियों के सम्बन्ध में जेसा कहा वैसा ही पद्मलेशी और शुक्ललेशी चारों मतवादियों के सम्बन्ध में कहना। अलेशी क्रियावादी जीव चारों में से कोई आयु नहीं बाँधते हैं । अलेशी केवल क्रियावादी होते हैं। - सलेसाणं भंते ! नेरइया किरियावाई कि नेरइयाउयं०? एवं सव्वे वि नेरइया जे किरियावाई ते मणुस्साउयं एगं पकरेइ, जे अकिरियावाई, अन्नाणियवाई, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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