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________________ लेश्या - कोश १६६ नारकी जिसने अपनी आयुष्य की अधिक स्थिति क्षय कर ली हो तथा जिसके अधिक कर्मों का क्षय हुआ हो तो उसकी अपेक्षा पाँचवीं नरक पृथ्वी का सत्रह सागरोपम आयुष्यवाला नीलेशी नारकी जो अभी-अभी उत्पन्न हुआ है तथा जिसने अपनी आयुष्य की स्थिति को अधिक क्षय नहीं किया है वह अधिक कर्मवाला होगा। अतः उपर्युक्त कृष्णलेशी जीव से वह महाकर्मवाला होगा । • ८० सलेशी जीव और अल्पऋद्धि- महाऋद्धि :-- एएसि णं भंते! जीवाणं कण्हलेसाणं जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेहिंतो अड्डिया वा महड्डिया वा ? गोयमा ! कण्हलेसेहिंतो नीललेसा महड्डिया, नीललेसेहिंतो काऊलेसा महड्डिया, एवं काऊलेसेहिंतो तेऊलेसा महड्डिया, तेऊलेसेहिंतो पम्हलेस्सा महड्डिया, पम्हलेसेहिंतो सुक्कलेसा महड्डिया, सव्व पड्डिया जीवा कण्हलेसा, सव्वमहड्डिया सुक्कलेसा । एएसि णं भंते! नेरइयाणं कण्हलेसाणं नीललेसाणं काऊलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पड्डिया वा महड्डिया वा ? गोयमा ! कण्हलेसेहिंतो नीललेसा महड्डिया, नीललेसेहिंतो काऊलेसा महड्डिया, सव्व पड्डिया नेरझ्या कण्हलेसा, सव्वमहड्डिया नेरइया काऊलेसा । एएसि णं भंते! तिरिक्खजोणियाणं, कण्हलेसाणं जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पाडिया वा महड्डिया वा ? गोयमा ! जहा जीवाणं । एएसि णं भंते! एगिंदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हलेसाणं जाव तेऊलेसाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पड्डिया वा महड्डिया वा ? गोमा ! कण्हलेसेर्हितो एगिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो नीललेसा महड्डिया, नीललेसेहिंतो तिरिक्खजो एहितो काऊलेसा महड्डिया, काऊलेसेहितो तेऊलेसा महड्डिया, सव्वपढिया एगें दियतिरिक्खजोणिया कण्हलेस्सा, सव्वमहड्डिया तेऊलेसा । एवं पुढविकाश्याण वि । एवं एएणं अभिलावेणं जहेव लेस्साओ भावियाओ तहेव नेयव्वं जाव चउरिंदिया | पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीणं संमुच्छिमाणं गन्भवक्कंतियाण य सव्वेसिं भाणियव्वं जाव अप्पड्डिया वेमाणिया देवा तेऊलेसा, सव्वमहड्डिया वेमाणिया सुक्कलेसा । केई भणंति - चउवीसं दण्डएवं इड्डी भाणियव्वा । - पण्ण० प १७ | उ २ । सू २३-२५ । पृ० ४४२ एएसि णं भंते! दीवकुमाराणं कण्हलेस्साणं जाव तेऊलेस्साण य कयरे करे - हिंतो अप्पिड्डिया वा महड्डिया वा ? गोयमा ! कण्हलेस्साहितो नीललेस्सा महिड्डिया जाव सव्वमहड्डिया तेऊलेस्सा। xxx उद हिकुमाराणं x x x एवं चेव । एवं दिसाकुमारा वि । एवं थणियकुमारा वि । Jain Education International - भग० श १६ । उ ११-१४ । पृ० ७५३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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